Saturday, April 21, 2012

ग्रामीण महिलाओं के पाँच सालों का सफरनामा


 27 मई 2011 अन्तर्राष्ट्रीय महिला स्वास्थ्य कार्य दिवस की पूर्व संध्या पर, अपने पाँच साल पूरे होने के उपलक्ष्य में, महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच की महिलाओं द्वारा उठाये गये कदमों पर संघर्ष की सफल कहानियों पर आधारित पुस्तक ’’हमारी कहानी हमारी जु़बानी’’  पाँच सालों का सफरनामा 2006-11 का विमोचन जनवादी महिला संगठन से सुभाषिनी अली और सुप्रीम कोर्ट की राईट टू फूड की सलाहकार अरूंधती धुरू व अन्य के द्वारा किया गया। 
महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच की ओर से सुश्री रेहाना आदीब ने बताया कि महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच, जो कि उत्तर प्रदेष के 10 जनपदो में 11000 महिलाओं का मंच है, जोकि महिलाओं के स्वास्थ्य अधिकारों के लिए पिछले पाँच वर्षों से लगातार संघर्ष कर रहा है। मंच की महिलाओं द्वारा विभिन्न माध्यमों से सरकारी तंत्र पर निगरानी व मांग, प्रभावषाली तरीक से किया गया है।  
राष्ट्रीय जनवादी महिला संगठन से सुभाषिनी अली जी ने महिलाओं को संबोधित करते हुये कहा कि हमें यह पहचानना जरुरी है कि वास्तविक लड़ाई किसके साथ है। हमारी वास्तविक लड़ाई सरकार के साथ है जो कि ऐसी नीति बनाती है जिससे गरीबी को मापने का कोई ठोस मानक नहीं है।   
चन्दौली जिले से संघर्ष की साथी महिला प्यारी देवी ने अपने संघर्षों की कहानी को साझा करते हुये कहा कि आज महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच के पाँच साल पूरे होने के साथ, इस संगठन से जुडने के बाद हम सब महिलाओं में बहुत सारे सकारात्मक बदलाव हुये हैं, जैसे कि हम सब पहले सरकारी अधिकारियों के सामने बोल नहीं पातीं थीं और मुद्दों को भी समझ नहीं पाती थीं लेकिन आज अधिकारियों से बात कर लेती हैं और मुद्दों की पहचान करने लगीं हैं और अब एकजुट होकर आवाज उठाने लगीं हैं। पाँच साल के दौरान में महिलायें अपने अधिकारों को लेकर काफी आगे आ गई हैं और अन्य महिलाओं के लिये भी कदम उठाना षुरु किया है। 

महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच से जुड़ी मिर्जापुर की झम्मन देवी ने बताया कि मंच की महिलाओं के द्वारा विभिन्न प्रयास जैसे अनटाइड फण्ड  के इस्तेमाल की निगरानी, मातृ मृत्यु की घटनाओं पर जन सुनवायी, उप स्वास्थ्य केन्द्र की निगरानी, पोषण की स्थिती को जानने हेतु आंगनवाड़ी केन्द्रों की निगरानी आदि करती आयी है।

सुप्रीम कोर्ट में भोजन के अधिकार की सलाहकार अरूंधती धुरू ने कहा कि आज महिलाओं की आवष्यकता को ध्यान में रखते हुये  हमें अपने देष में व्याप्त गरीबी को पहचानना चाहिए और गलत ढंग से गरीबी को नहीं अंकित करना चाहिए, जैसे कि आज के दिन बढते हुए राषन के दामों को देखते हुए क्या ग्रामीण इलाकों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को 15 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से दो जून की रोटी मिल पाना सम्भव है?

कार्यक्रम के दौरान संघर्षषील ग्रामीण महिलाओं द्वारा एक चित्र प्रदर्षनी व वृत चित्र का भी आयोजन किया गया, जिसमें महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच के संघर्ष के पाँच वर्षों की झलकियों को प्रदर्षित किया गया। साथ ही मातृ मृत्य रोकने हेतु संगठन की महिलाओं के द्वारा षपथ भी लिया गया।

कार्यक्रम का समापन महिलाओं के सामान्य जीवन यापन, अधिकारों और संघर्षो पर आधारित वृत्त चित्रों, वायसस फ्रॅाम द ग्राउण्ड और मदर करेजियस को भी महिलाओं के साथ साझा करते हुए कार्यक्रम का समापन किया गया। 
कार्यक्रम का आयोजन होटल गोमती, लखनऊ में किया गया जिसमें 10 जिलों से 150 महिलायें व 50 नेटवर्क के साथी, बुद्विजीवी वर्ग व छात्र छात्राएं षामिल हुये। 

महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच की ओर से 

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