Thursday, September 20, 2012

लापरवाही से गई प्रसूता की जान


लापरवाही से गई प्रसूता की जान
मोहनलालगंज सीएचसी का मामला, परिजनों ने किया प्रदर्शन
 अमर उजाला ब्यूरो 17 Sep 12 
मोहनलालगंज। सीएचसी कर्मचारियों की लापरवाही ने शनिवार रात प्रसूता की जान ले ली। महिला की मौत से नाराज परिजन और गांव वालों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया और अस्पताल के गेट पर शव रखकर कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगे। सूचना पर पहुंची पुलिस ने लोगों को कार्रवाई का आश्वासन दे शांत कराया। महिला के पति ने कर्मचारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए थाने पर तहरीर दी है, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। वहीं, सीएचसी के कार्यवाहक अधीक्षक ने परिजनों पर मारपीट का आरोप लगाया है।
भाव खेड़ा गांव निवासी मजदूर रमाकांत चौरसिया की पत्नी प्रीती (25) को शनिवार शाम प्रसव पीड़ा होने पर आशा बहू उर्मिला व पड़ोसी उमेश की पत्नी के साथ सीएचसी लेकर आए। रमाकांत ने बताया कि अस्पताल में महिला डॉक्टर मौजूद न होने पर नर्स उर्मिला पाल व मनजीत कौर ने प्रसव कराया। इसी दौरान उसकी पत्नी को प्लेसेंटा फंस गया। इस पर उसने महिला डॉक्टर बुलाने की मांग की, लेकिन उसकी बात को अनसुना कर नर्सें प्लेसेंटा निकालने में जुटी रहीं। अधिक रक्तस्राव होने से उसकी हालत बिगड़ने लगी। नर्सों ने आनन-फानन में ड्यूटी पर मौजूद डॉ. अखिलेश को बुलाकर महिला को झलकारी बाई अस्पताल रेफर कर दिया। अस्पताल में एंबुलेंस चालक मौजूद न होने के कारण महिला काफी देर तक अस्पताल में पड़ी रही। बाद में उसे 108 नं. एंबुलेंस के चालक को बुलाकर झलकारी बाई भेजा गया, लेकिन रास्ता न मालूम होने के चलते चालक ने काफी देर बाद महिला को झलकारी बाई पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने उसे क्यूनमेरी भेज दिया, वहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
प्रीती की मौत से नाराज परिजन सीएचसी केंद्र आ गए और शव गेट पर रखकर हंगामा शुरू कर दिया। अस्पताल पहुंची पुलिस के काफी समझाने के बाद परिजन माने। महिला के पति रमाकांत ने कर्मचारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए थाने पर तहरीर दी, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया।
उधर सीएचसी के कार्यवाहक अधीक्षक डॉ. योगेंद्र सिंह ने कर्मचारियों की लापरवाही से इनकार किया है और मृतका के परिजनों पर कर्मचारियों से मारपीट का आरोप लगाया है।


प्रसव में देरी से मां-बेटे की मौत 18 Sep 12
लखनऊ(ब्यूरो)। निगोहां पीएचसी पर प्रसव के लिए पहुंचे मां-बेटे की मौत हो गई। महिला के गर्भ में जुड़वा बच्चे थे।
करनपुर गांव के रहने वाले बिजोशर रावत गर्भवती पत्नी मालती(35) को रिक्शा ट्रॉली में बैठाकर सोमवार सुबह 6.30 बजे पीएचसी निगोहां ले गए। उसके साथ आशा बहू अनीता और रमेश भी थे।
वहां मौजूद एएनएम रमणी अम्मा ने मालती का उपचार करने से मना कर दिया। इस बीच कराहती मालती को प्रसव शुरू हो गया। काफी मिन्नतों के बाद मालती को प्रसव कराया गया लेकिन तब तक शिशु की मौत हो चुकी थी। इस बीच मालती की हालत भी बिगड़ गई। बिजोशर उसे टेम्पो से लखनऊ के लिए रवाना हुआ, लेकिन कनकहा के पास उसकी मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि यदि पीएचसी पर डॉक्टर होती तो मालती को बचाया जा सकता था। नाराज परिजनों ने पीएचसी निगोहां पर प्रदर्शन भी किया। पीएचसी पर तैनात डॉ. सचिन त्रिवेदी ने बताया कि उनकी ड्यूटी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर रहती है। इसलिए एएनएम और दाई ही प्रसव कराती हैं।
गर्भ में थे जुड़वा बच्चे एक प्रसव पीएचसी में दूसरे के लिए भेजा झलकारीबाई

माॅग पत्र - मिर्जापुर


माॅग पत्र 

उत्तर प्रदेश में 11000 महिलायें महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच की सदस्य हैं जो कि पिछले 6 सालों से प्रदेश में मातृ स्वास्थ्य की बेहतर स्थिति के लिए प्रयासरत हैं। हम उत्तर प्रदेश में मातृ स्वास्थ्य की स्थिति को सुधारने हेतु सरकार किये गये प्रयासों की सराहना करते हैं और प्रदेश में मातृ मृत्यु की गिर रही दर के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को बधाई देते हैं। वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार स्थिति को सुधारने के लिए बहुत सक्रिय है, लेकिन अभी भी कुछ ऐसी अनियमिततायें हैं जिन्हें दूर करना बहुत आवश्यक है। 

महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच, शिखर प्रशिक्षण संस्थान मिर्जापुर व सहयोग एक साथ मिलकर मेरा स्वास्थ्य मेरी आवाज अभियान को पिछले 9 महीने से गति दे रहे है। मेरा स्वास्थ्य मेरी आवाज अभियान सरकारी अस्पतालों में अनौपचारिक फीस को रोकने के लिये एक प्रयास है। जनवरी 2012 के बाद से अभी तक अनौपचारिक फीस मागे जाने की 350 से अधिक शिकायतें अभियान की वेबसाईट पर दर्ज हो चुकी है।

उत्तर प्र्रदेश में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में सभी मातृत्व स्वास्थ्य सेवायें निःशुल्क हैं लेकिन पिछले दिनों महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच की महिलाओं के साथ हुई कार्यशाला व अभियान की वेबसाइट http://meraswasthyameriaawaz.org  के मानचित्र पर दर्ज शिकायतों को देखने से ज्ञात होता है कि गर्भवती महिलायें जब सरकारी अस्पतालों में प्रसव के लिए जाती है जब उनसे अनौपचारिक रूप से फीस ली जाती है और साथ ही सरकारी सुविधाओं का लाभ भी उन्हें नही मिल पाता है।

कार्यशाला के उपरान्त महिलाओं की ओर से जो माॅगे निकलकर आयी है वह आप सब स्वास्थ्य अधिकारियों के समक्ष रखी जा रही है-
माॅगे इस प्रकार से है-
समस्त मातृत्व स्वास्थ्य सेवायें (दवा, जाॅच खून दस्ताने व साबुन ) निःशुल्क उपलब्ध करायी जायें 
इन सेवाओं को देने के लिए यदि कोई व्यक्ति अनौपचारिेक फीस की माॅग करता है तो आरोपित व्यक्ति पर सख्त कार्यवाही की जाये एवं महिला से ली गयी धनराशि वापस की जाये।
गर्भवर्ती महिला को प्रसव के लिए अस्पताल पहुॅचाने के लिए 108 ममता वाहन आदि की तरह निःशुल्क एम्बुलेंस की सुविधा प्रदान की जायें।
जरूरत पडने पर महिलाओं को रेफरल की सुविधा निःशुल्क प्रदान की जायें।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के स्तर पर सिजेरियन आपरेशन की सुविधा निःशुल्क उप्लब्ध करायी जाये।
भर्ती के समय पर्ची व रेफरल के समय रेफरल पर्ची देना अनिवार्य किया जाये।
प्रसव के दौरान महिला से अस्पताल के कर्मचारियों के द्वारा अभद्रतापूर्ण व्यवहार न किया जाये।
मुख्य चिकित्साधिकारी को नियमित रूप से सामुदायिक स्वा0 केन्द्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर निगरानी करनी चाहिए।
एस0बी0ए0 के द्वारा ए0एनएम0 की क्षमतावृद्वि की जाये।
प््रासव पश्चात जच्चा बच्चा की जाॅच हेतु ए0एन0एम0 व आशा की ग्रह भ्रमण सुनिश्चत करें।
गाॅव की महिलाओं को ग्रामीण स्वास्थ्य स्वच्छता समिति का सदस्य बनाया जाये।
समस्त निःशुल्क मात्रत्व स्वास्थ्य सेवाओं के बारें में सार्वजनिक स्थानों पर दीवार लेखन व प्रचार प्रसार किया जायें।

हम सब महिलाओं को आप से आशा व विस्वास है कि हमारी उपरोक्त माॅगों को दिलाने हेतु प्रयास करेंगे!!!



महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच उत्तर प्रदेश की ओर से 














माॅग पत्र -आजमगढ़


माॅग पत्र -आजमगढ़

उत्तर प्रदेश में 11,000 महिलायें, महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच की सदस्य हैं जो कि पिछले 6 सालों से प्रदेश में मातृ स्वास्थ्य की बेहतर स्थिति के लिए प्रयासरत हैं। हम उत्तर प्रदेश में मातृ स्वास्थ्य की स्थिति को सुधारने हेतु सरकार किये गये प्रयासों की सराहना करते हैं और प्रदेश में मातृ मृत्यु की गिर रही दर के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को बधाई देते हैं। वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार स्थिति को सुधारने के लिए बहुत सक्रिय है, लेकिन अभी भी कुछ ऐसी अनियमिततायें हैं जिन्हें दूर करना बहुत आवश्यक है।

महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच, ग्रामीण पुर्ननिर्माण संस्थान आजमगढ़ व सहयोग एक साथ मिलकर मेरा स्वास्थ्य मेरी आवाज अभियान को पिछले 9 महीने से गति दे रहे है। मेरा स्वास्थ्य मेरी आवाज अभियान सरकारी अस्पतालों में अनौपचारिक फीस को रोकने के लिये एक प्रयास है। जनवरी 2012 के बाद से अभी तक अनौपचारिक फीस मागे जाने की 350 से अधिक शिकायतें अभियान की वेबसाईट पर दर्ज हो चुकी है।

उत्तर प्र्रदेश में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में सभी मातृत्व स्वास्थ्य सेवायें निःशुल्क हैं लेकिन पिछले दिनों महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच की महिलाओं के साथ हुई कार्यशाला व अभियान की वेबसाइट http://meraswasthyameriaawaz.org  के मानचित्र पर दर्ज शिकायतों को देखने से ज्ञात होता है कि गर्भवती महिलायें जब सरकारी अस्पतालों में प्रसव के लिए जाती है जब उनसे अनौपचारिक रूप से फीस ली जाती है और साथ ही सरकारी सुविधाओं का लाभ भी उन्हें नही मिल पाता है।

कार्यशाला के उपरान्त महिलाओं की ओर से जो माॅगे निकलकर आयी है वह आप सब स्वास्थ्य अधिकारियों के समक्ष रखी जा रही है-
माॅगे इस प्रकार से है-
समस्त मातृत्व स्वास्थ्य सेवायें (दवा, जाॅच, खून, दस्ताने व साबुन ) निःशुल्क उपलब्ध करायी जायें
इन सेवाओं को देने के लिए यदि कोई व्यक्ति अनौपचारिेक फीस की माॅग करता है तो आरोपित व्यक्ति पर सख्त कार्यवाही की जाये एवं महिला से ली गयी धनराशि वापस की जाये।
गर्भवर्ती महिला को प्रसव के लिए अस्पताल पहुॅचाने के लिए 108 /ममता वाहन आदि की तरह निःशुल्क एम्बुलेंस की सुविधा प्रदान की जायें।
जरूरत पडने पर महिलाओं को रेफरल की सुविधा निःशुल्क प्रदान की जायें।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के स्तर पर सिजेरियन आपरेशन की सुविधा निःशुल्क उप्लब्ध करायी जाये।
भर्ती के समय पर्ची व रेफरल के समय रेफरल पर्ची देना अनिवार्य किया जाये।
प्रसव के दौरान महिला से अस्पताल के कर्मचारियों के द्वारा अभद्रतापूर्ण व्यवहार न किया जाये।
मुख्य चिकित्साधिकारी को नियमित रूप से सामुदायिक स्वा0 केन्द्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर निगरानी करनी चाहिए।
एस0बी0ए0 के द्वारा ए0एनएम0 की क्षमतावृद्वि की जाये।
प््रासव पश्चात जच्चा बच्चा की जाॅच हेतु ए0एन0एम0 व आशा की ग्रह भ्रमण सुनिश्चत करें।
गाॅव की महिलाओं को ग्रामीण स्वास्थ्य स्वच्छता समिति का सदस्य बनाया जाये।
समस्त निःशुल्क मात्रत्व स्वास्थ्य सेवाओं के बारें में सार्वजनिक स्थानों पर दीवार लेखन व प्रचार प्रसार किया जायें।

हम सब महिलाओं को आप से आशा व विस्वास है कि हमारी उपरोक्त माॅगों को दिलाने हेतु प्रयास करेंगे!!!



महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच उत्तर प्रदेश की ओर से