Monday, July 2, 2012

मातृ मृत्यु समीक्षा करना क्यो जरूरी है?


मातृ मृत्यु समीक्षा दिषानिर्देष

मातृ मृत्यु समीक्षा करना क्यो जरूरी है?

पूरे देष में मातृ मृत्यु को कम करने और आपातकालीन सेवा को सुदृढ़ करने हेतु यह आवष्यक गतिविधि है, जिसके अंतर्गत समस्त मातृ मृत्यु के प्रकरणों की रिपोटिंग को सुदृढ़ किया जायेगा तथा मातृ मृत्यु के कारणों का आंकलन कर मातृ मृत्यु के विभिन्न कारणों को समुदाय एवं संस्थागत स्तर पर चिन्हित कर दूर करने की कौषिष कर किया जाएगा।

संस्थागत मातृ मृत्यु समीक्षा करने के लिए निम्न बातों पर ध्यान देने की आवष्यकता है।
1. मृत्यु संबंधी जानकारी:- मृत्यु संबंधी जानकारी मिलते ही आप मृत्यु स्थल यानि अस्पातल पहुॅच जाए। मृत्यु के कारण जानने का कौषिष करनी चाहिए। कौषिष कीजिए की मृत महिला के परिजनों से बात कर जानकारी एकत्रित हो सकें। निम्न बातों के जरिये जानकारी एकत्रित किया जा सकता है:-
महिला को किस कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कौन सी गांव से महिला को लाया गया है। नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र में महिला को बताया गया था। कितने बजें मृत्यु हुई। मृत्यु के समय अस्पताल में डाॅक्टर (स्त्रीरोग विषेषज्ञ) मौजूद थे या फिर कोई अन्य। अस्पताल के कौन के कमरा में मृत्यु  हुई थी। क्या कारण था मौंत का। मृत महिला के परिजन में से कौन कौन से सदस्या अस्पताल आये है। महिला के मृत्यु के समय परिजन का कौन सा सदस्य घटना स्थल पर था। मृत शरीर को कहा रखा गया है। इत्यादि।

2. ईजाल संबंधी जानकारी:- महिला को अस्पताल में कब भर्ती किया गया था और कितने दिनों से भर्ती था। भर्ती के समय डाॅक्टर या डाॅक्टर के अलावे किसी और ने देखा था। भर्ती के दौरान अस्पातल से मिलने वाली सुविधा जैसे; दवा, खून की जांच, सोनोग्राफी जांच इत्यादि निःषुल्क मिला या बाजार से खरीदारी करनी पड़ी। इलाज के दौरान कितने पैसे खर्च हुए है और कितना। आपातकालीन इलाज के लिए डाॅक्टर मौजूद था।

3. षिकायत संबंधी जानकारी:- महिला के मृत्यु के बाद आपने (महिला के परिजन) अस्पताल में किसी से षिकायात किया है या कही षिकायत पेटी या अन्य किसी भी प्रकार से आपने महिला के मृत्यु का षिकायत लिखित या मौखिक रूप से किया है। क्या आपने ऐसा कही देखा है कि अस्पताल परिसर में किसी उच्च अधिकारीयों का फोन नम्बर है जिससे मृत्यु या अन्य इलाज संबंधी षिकायत फोन से किया जा सकता है। या कही षिकायत केन्द्र है जहां पर जा कर षिकायत किया जा सकता है।

4. रैफर संबंधी जानकारी:- अस्पताल में डाॅक्टर द्वारा महिला को रेफर की बात कही गयी थी अगर है तो जिस अस्पताल में महिला भर्ती थी उस अस्पताल से रेफरल अस्पताल कितने किमी की दूरी पर स्थित है। महिला के मृत्यु के कितने समय पहले डाॅक्टर द्वारा मृत महिला के परिजनों को रेफर के लिए कहा गया था। रेफर करते समय महिला की क्या स्थिति थी। डाॅक्टर द्वारा रेफर की बात कहने से तुरन्त पहले अस्पताल के अन्य कर्मचारी या डाॅक्टर द्वारा परिजनों के सदस्यों से किसी प्रकार के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करवाया था। जैसे; ‘‘इलाज के दौरान अगर महिला की मृत्यु हो जाती है तो डाॅक्टर की जवाबदारी नही होकर परिजनों की होगी। क्योकि डाॅक्टर ने हमें रेफर के लिए पहले ही बोल दिया है मैं अपने मर्जी से ईलाज करवा रहा हूॅ।’’ रेफर कर अन्य अस्पताल जाने के लिए एम्ब्युलेंष की सुविधा देने की बात कही थी। रेफर का कारण बताया गया था।  

5. कर्मचारियों (डाॅक्टर, नर्स एवं आया) का व्यवहार के संबंधी जानकारी:- महिला को अस्पताल में भर्ती के दौरान अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा महिला या उसके परिजनों के साथ दुव्यवहार (महिला के साथ प्रसव कक्ष में मार पीठ करना, महिला के परिजनों को उनके भाषा में गाली देना, महिला एवं परिजनों के साथ हिन भावना रखना, सही राह नही दिखाना एवं किसी प्रकार की बात को कर्मचारी द्वारा परिजानों के साथ चिल्लाकर बोलना। इलाज के लिए पैसे की मांग करना इत्यादि।) किया है।


6. आपातकालीन सेवा के संबंध में जानकारी:- आप परिजनों से यह जानकारी लेना न भूले कि महिला को आपातकालीन समय डाॅक्टर द्वारा जांच किया गया था। जैसे; महिला को रात 12 बजें किसी प्रकार की समस्या होने पर डाॅक्टर द्वारा जांच किया गया था या उपस्थित नर्स द्वारा ही जांच किया गया था। अस्पताल में डाॅक्टर मौजूद नही होने पर क्या ड्युटी नर्स ने डाॅक्टर को काॅल कर बुलाया था। अगर डाॅक्टर का घर अस्पताल के परिसर में है तो क्या आपको बुलाने के लिए भेजा था।

7. रोगी सहायता केन्द्र से मदद:- बड़े अस्पतालों (200 से 250 बेड) में रोगी सहायता केन्द्र होना चाहिए। परिजनों से यह मालूम करें की क्या ऐसी कोई व्यवस्था अस्पताल परिसर में है, आपको मालूम है अगर है तो क्या रोगी सहायता केन्द्र से आपको किसी प्रकार का मदद मिला। और अगर मिला है तो क्या-क्या।

8. परिजनों को ईलाज संबंधी जानकारी:- मृत महिला के परिजनों से यह जानकारी लेना चाहिए कि क्या डाॅक्टर द्वारा ईलाज करते दौरान महिला कौन सी परिस्थिति में या किस प्रकार की तकलीफ है इसकी जानकारी आपलोगो को डाॅक्टर द्वारा दिया गया था। जैसे; महिला के पेट में ही बच्चा मर गया  हो, पेट में बच्चें का स्थिति ठीक नही है, आॅपरेषन कर बच्चा निकाला जाएगा या फिर इस अस्पताल में महिला का ईलाज संभव नही है किसी और बड़े अस्पताल ले जाना होगा। महिला को क्या हुआ है। इत्यादि की जानकारी डाॅक्टर द्वारा दिया गया था।

9. पोस्टमार्टम संबंधी जानकारी:- मृत्यु के बाद महिला का पोस्टमार्टम किया गया था, डाॅक्टर द्वारा महिला की मौंत के कारण बताया था। मौंत का कारण जानने के लिए डाॅक्टर ने पोस्टमार्टम किया था अगन नही तो क्या आपने पोस्टमार्टम के लिए डाॅक्टर को बोला था। आपको मालूम है कि किस कारण से मौंत हुई है।

10. शव वाहिनी सुविधा के संबंधी जानकारी:- मृत महिला का शव को घर ले जाने के लिए क्या आपलोगो को शव वाहिनी की सुविधा दिया गया है। या किसी ने आपलोगो को बोला है कि शव वाहिनी की सुविधा मिलेगी। अगर नही तो आप लोग क्या करने वाले है।

‘‘संस्थागत मातृ मृत्यु समीक्षा करते समय संबंधित परिजानों के परिस्थिति एवं भावनाओं को ध्यान में रखते हुए करें ताकि परिजन को आपके बातों को ठेस न पहुॅचे और परिजन मृत्यु संबंधी जानकारी आपके दे पायें। इसके लिए हो सके तो परिजन के एक से दो सदस्य को घटना स्थल से अलग कर जानकारी लिया जाए। साथ ही समुदाय स्तर में मातृ मृत्यु समीक्षा की बातों को ध्यान में रखते हुए घटना की समीक्षा करें।’’


समुदाय स्तर में मातृ मृत्यु समीक्षा करने के लिए निम्न बातों पर ध्यान देने की आवष्यकता है।

सामान्य बातें:-
सर्व प्रथम अपने बारे में पूरी जानकारी दी जानी चाहिए।
परिजनों को आष्वासन देना चाहिए कि आपके द्वारा दी गई जानकारी को गोपनीय रखा जायगा।
मातृ मुत्यु समीक्षा के महत्व एवं लाभ के बारे में संबंधित जनों को पूर्ण जानकारी दी जानी चाहिए।
मृत महिला के परिजनों से जानकारी ली जाए, और जहाॅ तक सम्भव हो उस सदस्य से जानकारी ली जाए जो जटिलता के आरंभ से लेकर मृत्यु तक महिला के साथ था।
जानकारी पूछने से पहले परिवार से सहमति ली जानी चाहिए, अगर परिवार जानकारी देने की स्थिति में नही है तो कृपया आप जानकारी न ले।
परिजनों की सहमति मिलने के बाद भी जब तक परिजन आप पर पूरी तरह विश्वास न करें तब तक जानकारी नही लेना चाहिए। (परिजनों को विश्वास में लेने के लिए आप उनके पारिवारिक स्थिति, खेती एवं अन्य बातें करना चाहिए।)
मातृ मृत्यु समीक्षा करते समय कम से कम दो व्यक्तियों को जाना चाहिए जिससे एक व्यक्ति परिजनों से बात करें एवं अन्य व्यक्ति जानकारी को नोट कर सकें।
जानकारी लेने वाले व्यक्ति को प्रपत्र के बारें में पूरी जानकारी होना चाहिए ताकि परिजनों के समक्ष बार-बार प्रपत्र न देखना पड़े।
कुछ जानकारी ऐसी है जिसे पुछा नही जाता जैसे महिला विवाहित थी या नही।
परिजन जिस भाषा में जानकारी देने में संतुष्ट है उसे उसी भाषा में जानकारी लेना चाहिए।
परिजन पूरी जानकारी दे सके इसके लिए आप परिजन के सदस्यों को घटना के संबंध में सांत्वना भी देना चाहिए।
महिला की मृत्यु जिस स्थिति (गर्भवस्था के दौरान, प्रसव के दौरान, प्रसव के बाद) में हुई है उस स्थिति के लिए निर्धारित प्रपत्र के आधार पर ही जानकारी पुछी जानी चाहिए।
इन सब बातों के लिए जानकारी लेने वाले व्यक्ति को स्थानीय भाषा एवं उस क्षेत्र की जानकारी होना आवश्यक है।
जानकारी लेते समय आप कोशिश करे कि परिजन के अलावे कम से कम दूसरे व्यक्ति जानकारी स्थल पर बैठे हो।

समीक्षा प्रपत्र भरते समय की बातें

परिजनों से मृत महिला का नाम, उम्र, षिक्षण योग्यता, बच्चों (मृत्य एवं जीवित) की जानकारी सर्व प्रथम लेना चाहिए।
परिजन जब घटनाक्रम के बारें में जानकारी दे रहे हो तब बीच में किसी प्रकार के सवाल पुछ कर परिजनों को जानकारी देने में बधित नही करना चाहिए।
परिजनों के अलावा आस पास में बैठे लोग किसी प्रकार की जानकारी देते है तो उसे बीच में नही रोकना चाहिए तथा उसे भी नोट कर लेना चाहिए। पर अपने सवाल से नही भटकान चाहिए।
परिजनों से स्पष्ट एवं सत्य जानकारी प्राप्त करने के लिए जानकारी को अलग-अलग प्रकार से पूछना चाहिए।
जानकारी देने वाला व्यक्ति भावुक हो जाए तो जानकारी लेना वही पर रोक देना चाहिए एवं उसे सांत्वना देना चाहिए। परिजनों के सामान्य होने के बाद पुनः जानकारी के लिए सहमति लेना चाहिए।
जानकारी देने वाला व्यक्ति के हाव-भाव पर भी ध्यान रखना चाहिए। जिससे गलत जानकारी देने पर पुनः जानकारी ली जा सकें।
जानकारी पुर्ण होने के बाद परिवार को धन्यवाद देना न भुले साथ ही यही भी बता दे की आवष्यकता पड़ने पर आपसे पुनः संपर्क किया जाऐगा।
जानकारी पूर्ण होने के बाद समीक्षा प्रपत्र में देख लेना चाहिए की जानकारी पूर्ण हो गई है या नही।
जानकारी पूर्ण होने के बाद परिजनो को नोट की गई जानकारी को पढ़ कर बताना चाहिए। जिसमे उनकी आपत्ती हो उसे संषोधित करना चाहिए।


अजय विष्वकर्मा
साथी, बड़वानी म.प्र.