Wednesday, May 30, 2012

स्वास्थ्य -अधिकारगत नजरिये से


स्वास्थ्य -अधिकारगत नजरिये से
अधिकारगत नजरिया मानव के स्वास्थ्य हेतु बनाये जाने वाले कार्यक्रमों और उसके मापदंडो को सुनिष्चित करने का माध्यम है।
इस अधिकारगत नजरिये का मतलब है, जो भी कार्य सरकार द्वारा लोगो के भलाई के लिये चलाये जाते है उनका मानवाधिकार गत ढाॅंचे में उन अधिकारो को ठीक उसी प्रकार से लागू करना जिससे कि न सिर्फ लोगो के अधिकारो की रक्षा हो सके बल्कि तय किये गये मानको के अनुसार नागरिको के सम्मान, और सेवाओं तक पहॅुंच को उनकी जरूरत के अनुसार सुगम बनाना।
अधिकारगत नजरिये के अन्तर्गत जवाबदेही, सहभागिता, सभी प्रकार के भेदभाव से मुक्त और अविभाज्य जैसे चार सिद्धान्त आते है।
स्वास्थ्य के अधिकार को 1946 मे विष्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्थापित किया गया और 1948 मे मानवाधिकार घोषणा पत्र मे भी षामिल किया गया स्वास्थ्य का अधिकार आज 100 देषो के संविधान मे षामिल हो चुका है।
स्वास्थ्य का अधिकार क्या है-
सन 2000 मे संयुक्त राष्ट्रसंघ ने स्वास्थ्य के अधिकार को लेकर कुछ मानक तय किये। यह मानक इसलिये बनाये गये जिससे यह पता चल सके कि जो स्वास्थ्य को लेकर कार्यक्रम चलाये जा रहे है वह गुणवत्तापरक है कि नही। इन मानको को बनाये रखने कि पहली जिम्मेदारी सरकार की है जो अपने देेष के नागरिको के स्वास्थ्य कि गुणवत्ता बनाये रखने कि जिम्मेदारी लेती है।
यह गुणवत्तापरक मानक निम्न प्रकार से हैः
उपलब्धता - इसका तात्पर्य है कि वह जनस्वास्थ्य सुविधायें जो लोगो के लिये जरूरी है वह उन्हें उपलब्ध हो जैसे कि आवष्यक सामग्री व सेवाओ का उचित प्रबन्ध जिसके अन्तर्गत कम से कम साफ पिने का पानी, उपयुक्त साफ सफाई, युक्त अस्पताल और क्लीनिक, प्रषिक्षित चिकित्साकर्मी, आवष्यक दवायें और चिकित्सा कर्मियों के लिये उपयुक्त मासिक भत्ता।
पहॅंुच- इसका मतलब है जो भी स्वास्थ्य सेवाऐं दी जाए, वह लोगों की षारीरिक व आर्थिक स्थिति के अनुसार हो, उस पर उनकी पहंुच हो। यह सेवाऐं बिना किसी भेदभाव के सभी को समान रूप से प्रदान किया जाएं। इन सेवाओं की जानकारी निःषुल्क सभी को उपलब्ध हो और उस तक उनकी पहुंच हो।
स्वीकार्यता- इसका मतलब है कि सभी स्वास्थ्य सुविधाएं चिकित्सा के नैतिक मापदंडो के अनुसार हो अैार सांस्कृतिक रूप से मान्य, जेण्डर समानता अैार लोगो कि आवष्यकताओ के अनूरूप हो साथ ही अैर जो उनकी गोपनीयता को बनाए रखे।
गुणवत्ता- गुणवत्ता का मतलब है कि स्वास्थ्य और सुविधाएं, सामाग्री और सुविधाएं, विज्ञान और चिकित्सीय मापदंडो के अनुसार हो और अच्छी गुणवत्ता पर आधारित हो । साथ ही इस प्र्रकिया में प्रषिक्षित चिकित्सा कर्मी, समयावधी के अन्तर्गत प्रयोग की जाने वाली दवांए, उपकरण, सुरक्षित पीने योग्य पानी और उपयुक्त पोषण हेतु दी जाने वाली सुविधाएं इसके अन्तर्गत निहित है।
स्वास्थ्य का अधिकार किस प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है-
जो भी कार्यक्रम मानव विकास हेतु चलाये जाते हैं उनके अन्तर्गत स्वास्थ्य का अधिकार और उन कार्यक्रमों की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए निगरानी उसका एक भाग र्है।
इन कार्यक्रमों में अधिकार सुनिष्चित करने के लिए निम्न तीन प्रकार के माध्यम अपनाए जाते हैं-
विष्लेषण की व्यवस्था: स्वास्थ्य के मानको और अधिकार का उपयोग जैसे:

  • कौन सा मानक उपयोगी है और कौन सा अभी भी प्राप्त करने की जरुरत है।
  • स्वास्थ्य सेवा देने की जिम्मेदारी किसकी है और कौन गुणवत्ता परक स्वास्थ्य सुनिष्चित करता है।
  • कौन सा मानक पुरा किया गया है और किसके द्वारा स्वास्थ्य मानको को बनाये रखा गया है।
  •  . कार्यान्वयन के माध्यम:जो भी स्वास्थ्य से जुडे कार्यक्रम बनाये जाते है वह निम्न चार सिद्वान्तो के आधार पर बनाये जाते है। 
  • समानता और भेदभाव मुक्त: इसका मतलब है कि जो भी स्वास्थ्य सेवाए दी जा रही है वह व्यक्ति उम्र, भाषा, जाती, धर्म, जेंडर और भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर न होकर सबके लिए एक समान और बिना भेदभाव से मुक्त हो।   
  • सहभागिता: इसका मतलब है कि जो भी स्वास्थ्य से जुडे कार्यक्र्र्र्र्र्रम समुदाय, राज्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बनाये जा रहे है उनमे लोगो की सहभागिता है कि नही ? यह सुनिष्चित करना। सामुदायिक स्तर पर लोगो का जुडाव बनाये रखने के लिय,े उनको षिक्षित, प्रषिक्षित और जागरुक करने के लिये विभिन्न संस्थाओ द्वारा जो भी योगदान दिया जाना है उसमे उनकी सहभागिता तय करना।   
  • जवाबदेही: जो भी जनस्वास्थ्य से जुडी सेवाएं सरकार द्वारा लोगो को दी जा रही है, उन सेवाओ को देने के लिये सरकार के पास पर्याप्त संसाधन व माध्यम है कि नही उसके प्रति सरकार की जिम्मेदारी जवाबदेही तय करना। 

  •  पैरोकारी बिन्दु: मानवाधिकार संगठनो और सामुदायिक संगठनो के साथ काम करना , उदाहरण के लिए-
  • यह सुनिष्चित करना कि जनस्वास्थ्य के अधिकारो की रक्षा और उसे बनाये रखने के लिये जो प्रक्रिया तैयार की गई है वह ठीक प्रकार से काम कर रहा है।
  • स्वास्थ्य अधिकार हेतु बनाये गये मानको के लिये उसपर काम कर रही सरकार और संस्थाओ के काम की निगरानी करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय मानको की निगरानी करना जिससे यह पता चल सके कि सरकार जो भी स्वास्थ्य कार्यक्रम चला रही है उसमें लोगो के अधिकार, रक्षा, सम्मान बनाये रखने और पुरा करने के प्रयास किये जा रहे है कि नही।  

प्रवेष वर्मा-सहयोग

‘निःषुल्क मातृ स्वास्थ्य सेवाओं’’ के अनुभव पर ग्राम-स्तरीय सर्वेक्षण




‘‘निःषुल्क मातृ स्वास्थ्य सेवाओं’’ की हकीकत - प्रति महिला औसतन 1298रू0 का खर्च



‘‘निःषुल्क मातृ स्वास्थ्य सेवाओं’’ की हकीकत - प्रति महिला औसतन 1298रू0 का खर्च



उ0प्र0 के 10 जिलों के 18 बलाक के 188 राजस्व गाॅव  मे ‘‘महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच’ के महिलाओं के द्वारा ‘‘निःषुल्क मातृ स्वास्थ्य सेवाओं’’ के अनुभव पर ग्राम-स्तरीय सर्वेक्षण 370 महिलाओं  किया गया। इन सर्वेक्षण के आॅकडों की प्रस्तुति दिनाॅक 28 मई 2012 को की गयी, जो कि ‘‘ महिला स्वास्थ्य के लिए अन्र्तराष्ट्रीय कार्य दिवस’’ है ।
अध्ययन के चैकाने वाले आंकड़ों से निकला कि 370 गरीब महिलाओं ने सरकारी अस्पतालों में निःषुल्क मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं को प्राप्त करने के लिए 4ए88ए701 रु0 अनावष्यक रूप से खर्च करना पड़ा। आंकड़ों से यह भी पता चला कि एक गर्भवती महिला को प्रसव के दौरान जननी सुरक्षा योजना के तहत 1400रु0 मिलते हैं, जिसको पाने के लिए महिला को कम से कम 498रू0 तथा  अधिकतम 2754रू0 और कुल मिलाकर औसतन 1298 रु0 खर्च करने पड़ रहें हैं। परन्तु स्वास्थ्य विभाग के अनुसार समस्त मातृत्व स्वास्थ्य सुविधायें निःषुल्क हैं।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की ओर से उत्तर प्रदेष में 2005-11 के दौरान  लगभग 8657 करोड़ रु0 आवंटित किया गया था।  इसकेे बाद भी अफसोस की बात है कि गरीब जनता को निःषुल्क मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं को प्राप्त करने के लिए प्रति महिला औसतन 1298 रु0 खर्च करने पड़ रहे है
जमीनी स्तर का महिलाओं का फोरम ‘‘महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच’ 10 जिलों के 11000 गरीब, ग्रामीण व वंचित महिलाओं का एक मंच है जो पिछले 6 सालों से महिला स्वास्थ्य व विभिन्न जुड़े मुददों पर महिलाओं के अधिकारों की निगरानी व उनकी पैरोकारी करती आ रही हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप मंे उ0प्र0 राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिषन, के मिषन डायरेक्टर, श्री मुकेष कुमार मेसराम जी ने कहा कि आप लोगों से जो जानकारी मिली वह काफी चिन्ताजनक है खासकर ग्रामीण महिलाओं की। कहा इस पूरे लाचार व्यवस्थो में सरकारी लोगों की संवेदनषीलता की कमी है व एैसे लोगों के साथ कड़ी कार्यवाही की बात की। इसी के साथ तकनीकि आधारित मेरा स्वास्थ्य मेरी आवाज अभियान की सराहना करते हुए उसकी लिंक ूूूण्उमतंेूंेजीलंउमतपंूं्रण्वतह उ0प्र एन0आर0एच0एम0 की वेवसाईट से लिंक करने करने के साथ प्रदेष के अन्य जिलों में फैलावं की बात की।
हिन्दुस्तान टाइम्स की रेसीडेन्ट एडि़टर सुश्री सुनीता ऐरन जी कहा कि एक तो महिलाओं को मातृत्व स्वास्थ्य सेवायें मुफ्त मे तों मिलना ही चाहिये व इन सेवाओं की गुणवत्ता पर भी ध्यान देना चाहिए।
डी0जी, आषा एवं समुदायिक स्वा0, डा0 हरिओमग दिक्षित जी कहा कि औरतो का सषक्तिकरण होना अनिवार्य है ताकि वह अपने अधिकारों की पैरवी खुद कर सके।
सोसल एक्टविस्ट सुश्री अरूंधति धुरू जी ने कहा कि विकास में महिला के मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं के बारें में राजनीतिक लोंगों के द्वारा कभी  बात नही की जाती है न ही कोई इसको लेकर पाल्टिकल बिल है जिसके बारें में हम लोगों को सोचने की जरूरत है। उन्होने सरकार के द्वारा महिलाओं को मूलभत सुविधाओं को देने में सरकार की महत्वता और स्वास्थ्य विभाग में सामाजिक आडिट और पारदर्षिता की बात की।
मंथन प्रोजेक्ट के ड़ायरेक्टर श्री आमोद कुमार जी कहा कि हमेें मातृत्व स्वास्थ्य की समस्याओं को लेकर मीडिया के साथ साझा करना चाहिए और सरकारी स्वासथ्य व्यवस्था में अच्छे लोगों को भी चिन्हित करना चाहिए। साथ स्थानीय राजनीतिक लोग व विधायकों के साथ पैरोकारी करना चाहिए।
सहयोग लखनऊ से सुश्री जषोधरा जी  ने कहा कि इस समय उ0प्र0 में स्वास्थ्य सुविधाओं को समुदायिक स्तर पर निगरानी करने की जरूरत है।
इसी अवसर पर मातृत्व स्वास्थ्य के केसों को षेयर किया गया व साथ ही इस अवसर पर ‘‘महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच’ की सहजकर्ता मार्गदर्षिका पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
कार्यक्रम के सह सयोंजक हेल्थवाॅच फोरम उ0प्र0 स्वैच्छिक संगठनों एवं  समाजकर्मियों का मंच है जो प्रजनन स्वास्थ्य व अधिकारों की पैरोकारी व निगरानी करती है। कार्यक्रम का आयोजन लखनऊ के गोमती नगर स्थित ‘‘संगीत नाटक एकेडमी’’ में किया गया था।  जिसमें प्रदेष के 10 जिलों से करीब 100 महिलायें व लखनऊ से करीब 10 स्वैच्छिक संगठनों ने भी प्रतिभाग किया।

भवदीय!
  संध्या, तिथि, प्रवेष
(हेल्थवाॅच फोरम उ0प्र0 एवं महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच उ0प्र0 के ओर से)