Thursday, September 20, 2012

लापरवाही से गई प्रसूता की जान


लापरवाही से गई प्रसूता की जान
मोहनलालगंज सीएचसी का मामला, परिजनों ने किया प्रदर्शन
 अमर उजाला ब्यूरो 17 Sep 12 
मोहनलालगंज। सीएचसी कर्मचारियों की लापरवाही ने शनिवार रात प्रसूता की जान ले ली। महिला की मौत से नाराज परिजन और गांव वालों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया और अस्पताल के गेट पर शव रखकर कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगे। सूचना पर पहुंची पुलिस ने लोगों को कार्रवाई का आश्वासन दे शांत कराया। महिला के पति ने कर्मचारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए थाने पर तहरीर दी है, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। वहीं, सीएचसी के कार्यवाहक अधीक्षक ने परिजनों पर मारपीट का आरोप लगाया है।
भाव खेड़ा गांव निवासी मजदूर रमाकांत चौरसिया की पत्नी प्रीती (25) को शनिवार शाम प्रसव पीड़ा होने पर आशा बहू उर्मिला व पड़ोसी उमेश की पत्नी के साथ सीएचसी लेकर आए। रमाकांत ने बताया कि अस्पताल में महिला डॉक्टर मौजूद न होने पर नर्स उर्मिला पाल व मनजीत कौर ने प्रसव कराया। इसी दौरान उसकी पत्नी को प्लेसेंटा फंस गया। इस पर उसने महिला डॉक्टर बुलाने की मांग की, लेकिन उसकी बात को अनसुना कर नर्सें प्लेसेंटा निकालने में जुटी रहीं। अधिक रक्तस्राव होने से उसकी हालत बिगड़ने लगी। नर्सों ने आनन-फानन में ड्यूटी पर मौजूद डॉ. अखिलेश को बुलाकर महिला को झलकारी बाई अस्पताल रेफर कर दिया। अस्पताल में एंबुलेंस चालक मौजूद न होने के कारण महिला काफी देर तक अस्पताल में पड़ी रही। बाद में उसे 108 नं. एंबुलेंस के चालक को बुलाकर झलकारी बाई भेजा गया, लेकिन रास्ता न मालूम होने के चलते चालक ने काफी देर बाद महिला को झलकारी बाई पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने उसे क्यूनमेरी भेज दिया, वहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
प्रीती की मौत से नाराज परिजन सीएचसी केंद्र आ गए और शव गेट पर रखकर हंगामा शुरू कर दिया। अस्पताल पहुंची पुलिस के काफी समझाने के बाद परिजन माने। महिला के पति रमाकांत ने कर्मचारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए थाने पर तहरीर दी, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया।
उधर सीएचसी के कार्यवाहक अधीक्षक डॉ. योगेंद्र सिंह ने कर्मचारियों की लापरवाही से इनकार किया है और मृतका के परिजनों पर कर्मचारियों से मारपीट का आरोप लगाया है।


प्रसव में देरी से मां-बेटे की मौत 18 Sep 12
लखनऊ(ब्यूरो)। निगोहां पीएचसी पर प्रसव के लिए पहुंचे मां-बेटे की मौत हो गई। महिला के गर्भ में जुड़वा बच्चे थे।
करनपुर गांव के रहने वाले बिजोशर रावत गर्भवती पत्नी मालती(35) को रिक्शा ट्रॉली में बैठाकर सोमवार सुबह 6.30 बजे पीएचसी निगोहां ले गए। उसके साथ आशा बहू अनीता और रमेश भी थे।
वहां मौजूद एएनएम रमणी अम्मा ने मालती का उपचार करने से मना कर दिया। इस बीच कराहती मालती को प्रसव शुरू हो गया। काफी मिन्नतों के बाद मालती को प्रसव कराया गया लेकिन तब तक शिशु की मौत हो चुकी थी। इस बीच मालती की हालत भी बिगड़ गई। बिजोशर उसे टेम्पो से लखनऊ के लिए रवाना हुआ, लेकिन कनकहा के पास उसकी मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि यदि पीएचसी पर डॉक्टर होती तो मालती को बचाया जा सकता था। नाराज परिजनों ने पीएचसी निगोहां पर प्रदर्शन भी किया। पीएचसी पर तैनात डॉ. सचिन त्रिवेदी ने बताया कि उनकी ड्यूटी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर रहती है। इसलिए एएनएम और दाई ही प्रसव कराती हैं।
गर्भ में थे जुड़वा बच्चे एक प्रसव पीएचसी में दूसरे के लिए भेजा झलकारीबाई

माॅग पत्र - मिर्जापुर


माॅग पत्र 

उत्तर प्रदेश में 11000 महिलायें महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच की सदस्य हैं जो कि पिछले 6 सालों से प्रदेश में मातृ स्वास्थ्य की बेहतर स्थिति के लिए प्रयासरत हैं। हम उत्तर प्रदेश में मातृ स्वास्थ्य की स्थिति को सुधारने हेतु सरकार किये गये प्रयासों की सराहना करते हैं और प्रदेश में मातृ मृत्यु की गिर रही दर के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को बधाई देते हैं। वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार स्थिति को सुधारने के लिए बहुत सक्रिय है, लेकिन अभी भी कुछ ऐसी अनियमिततायें हैं जिन्हें दूर करना बहुत आवश्यक है। 

महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच, शिखर प्रशिक्षण संस्थान मिर्जापुर व सहयोग एक साथ मिलकर मेरा स्वास्थ्य मेरी आवाज अभियान को पिछले 9 महीने से गति दे रहे है। मेरा स्वास्थ्य मेरी आवाज अभियान सरकारी अस्पतालों में अनौपचारिक फीस को रोकने के लिये एक प्रयास है। जनवरी 2012 के बाद से अभी तक अनौपचारिक फीस मागे जाने की 350 से अधिक शिकायतें अभियान की वेबसाईट पर दर्ज हो चुकी है।

उत्तर प्र्रदेश में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में सभी मातृत्व स्वास्थ्य सेवायें निःशुल्क हैं लेकिन पिछले दिनों महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच की महिलाओं के साथ हुई कार्यशाला व अभियान की वेबसाइट http://meraswasthyameriaawaz.org  के मानचित्र पर दर्ज शिकायतों को देखने से ज्ञात होता है कि गर्भवती महिलायें जब सरकारी अस्पतालों में प्रसव के लिए जाती है जब उनसे अनौपचारिक रूप से फीस ली जाती है और साथ ही सरकारी सुविधाओं का लाभ भी उन्हें नही मिल पाता है।

कार्यशाला के उपरान्त महिलाओं की ओर से जो माॅगे निकलकर आयी है वह आप सब स्वास्थ्य अधिकारियों के समक्ष रखी जा रही है-
माॅगे इस प्रकार से है-
समस्त मातृत्व स्वास्थ्य सेवायें (दवा, जाॅच खून दस्ताने व साबुन ) निःशुल्क उपलब्ध करायी जायें 
इन सेवाओं को देने के लिए यदि कोई व्यक्ति अनौपचारिेक फीस की माॅग करता है तो आरोपित व्यक्ति पर सख्त कार्यवाही की जाये एवं महिला से ली गयी धनराशि वापस की जाये।
गर्भवर्ती महिला को प्रसव के लिए अस्पताल पहुॅचाने के लिए 108 ममता वाहन आदि की तरह निःशुल्क एम्बुलेंस की सुविधा प्रदान की जायें।
जरूरत पडने पर महिलाओं को रेफरल की सुविधा निःशुल्क प्रदान की जायें।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के स्तर पर सिजेरियन आपरेशन की सुविधा निःशुल्क उप्लब्ध करायी जाये।
भर्ती के समय पर्ची व रेफरल के समय रेफरल पर्ची देना अनिवार्य किया जाये।
प्रसव के दौरान महिला से अस्पताल के कर्मचारियों के द्वारा अभद्रतापूर्ण व्यवहार न किया जाये।
मुख्य चिकित्साधिकारी को नियमित रूप से सामुदायिक स्वा0 केन्द्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर निगरानी करनी चाहिए।
एस0बी0ए0 के द्वारा ए0एनएम0 की क्षमतावृद्वि की जाये।
प््रासव पश्चात जच्चा बच्चा की जाॅच हेतु ए0एन0एम0 व आशा की ग्रह भ्रमण सुनिश्चत करें।
गाॅव की महिलाओं को ग्रामीण स्वास्थ्य स्वच्छता समिति का सदस्य बनाया जाये।
समस्त निःशुल्क मात्रत्व स्वास्थ्य सेवाओं के बारें में सार्वजनिक स्थानों पर दीवार लेखन व प्रचार प्रसार किया जायें।

हम सब महिलाओं को आप से आशा व विस्वास है कि हमारी उपरोक्त माॅगों को दिलाने हेतु प्रयास करेंगे!!!



महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच उत्तर प्रदेश की ओर से 














माॅग पत्र -आजमगढ़


माॅग पत्र -आजमगढ़

उत्तर प्रदेश में 11,000 महिलायें, महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच की सदस्य हैं जो कि पिछले 6 सालों से प्रदेश में मातृ स्वास्थ्य की बेहतर स्थिति के लिए प्रयासरत हैं। हम उत्तर प्रदेश में मातृ स्वास्थ्य की स्थिति को सुधारने हेतु सरकार किये गये प्रयासों की सराहना करते हैं और प्रदेश में मातृ मृत्यु की गिर रही दर के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को बधाई देते हैं। वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार स्थिति को सुधारने के लिए बहुत सक्रिय है, लेकिन अभी भी कुछ ऐसी अनियमिततायें हैं जिन्हें दूर करना बहुत आवश्यक है।

महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच, ग्रामीण पुर्ननिर्माण संस्थान आजमगढ़ व सहयोग एक साथ मिलकर मेरा स्वास्थ्य मेरी आवाज अभियान को पिछले 9 महीने से गति दे रहे है। मेरा स्वास्थ्य मेरी आवाज अभियान सरकारी अस्पतालों में अनौपचारिक फीस को रोकने के लिये एक प्रयास है। जनवरी 2012 के बाद से अभी तक अनौपचारिक फीस मागे जाने की 350 से अधिक शिकायतें अभियान की वेबसाईट पर दर्ज हो चुकी है।

उत्तर प्र्रदेश में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में सभी मातृत्व स्वास्थ्य सेवायें निःशुल्क हैं लेकिन पिछले दिनों महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच की महिलाओं के साथ हुई कार्यशाला व अभियान की वेबसाइट http://meraswasthyameriaawaz.org  के मानचित्र पर दर्ज शिकायतों को देखने से ज्ञात होता है कि गर्भवती महिलायें जब सरकारी अस्पतालों में प्रसव के लिए जाती है जब उनसे अनौपचारिक रूप से फीस ली जाती है और साथ ही सरकारी सुविधाओं का लाभ भी उन्हें नही मिल पाता है।

कार्यशाला के उपरान्त महिलाओं की ओर से जो माॅगे निकलकर आयी है वह आप सब स्वास्थ्य अधिकारियों के समक्ष रखी जा रही है-
माॅगे इस प्रकार से है-
समस्त मातृत्व स्वास्थ्य सेवायें (दवा, जाॅच, खून, दस्ताने व साबुन ) निःशुल्क उपलब्ध करायी जायें
इन सेवाओं को देने के लिए यदि कोई व्यक्ति अनौपचारिेक फीस की माॅग करता है तो आरोपित व्यक्ति पर सख्त कार्यवाही की जाये एवं महिला से ली गयी धनराशि वापस की जाये।
गर्भवर्ती महिला को प्रसव के लिए अस्पताल पहुॅचाने के लिए 108 /ममता वाहन आदि की तरह निःशुल्क एम्बुलेंस की सुविधा प्रदान की जायें।
जरूरत पडने पर महिलाओं को रेफरल की सुविधा निःशुल्क प्रदान की जायें।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के स्तर पर सिजेरियन आपरेशन की सुविधा निःशुल्क उप्लब्ध करायी जाये।
भर्ती के समय पर्ची व रेफरल के समय रेफरल पर्ची देना अनिवार्य किया जाये।
प्रसव के दौरान महिला से अस्पताल के कर्मचारियों के द्वारा अभद्रतापूर्ण व्यवहार न किया जाये।
मुख्य चिकित्साधिकारी को नियमित रूप से सामुदायिक स्वा0 केन्द्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर निगरानी करनी चाहिए।
एस0बी0ए0 के द्वारा ए0एनएम0 की क्षमतावृद्वि की जाये।
प््रासव पश्चात जच्चा बच्चा की जाॅच हेतु ए0एन0एम0 व आशा की ग्रह भ्रमण सुनिश्चत करें।
गाॅव की महिलाओं को ग्रामीण स्वास्थ्य स्वच्छता समिति का सदस्य बनाया जाये।
समस्त निःशुल्क मात्रत्व स्वास्थ्य सेवाओं के बारें में सार्वजनिक स्थानों पर दीवार लेखन व प्रचार प्रसार किया जायें।

हम सब महिलाओं को आप से आशा व विस्वास है कि हमारी उपरोक्त माॅगों को दिलाने हेतु प्रयास करेंगे!!!



महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच उत्तर प्रदेश की ओर से 

Monday, July 2, 2012

मातृ मृत्यु समीक्षा करना क्यो जरूरी है?


मातृ मृत्यु समीक्षा दिषानिर्देष

मातृ मृत्यु समीक्षा करना क्यो जरूरी है?

पूरे देष में मातृ मृत्यु को कम करने और आपातकालीन सेवा को सुदृढ़ करने हेतु यह आवष्यक गतिविधि है, जिसके अंतर्गत समस्त मातृ मृत्यु के प्रकरणों की रिपोटिंग को सुदृढ़ किया जायेगा तथा मातृ मृत्यु के कारणों का आंकलन कर मातृ मृत्यु के विभिन्न कारणों को समुदाय एवं संस्थागत स्तर पर चिन्हित कर दूर करने की कौषिष कर किया जाएगा।

संस्थागत मातृ मृत्यु समीक्षा करने के लिए निम्न बातों पर ध्यान देने की आवष्यकता है।
1. मृत्यु संबंधी जानकारी:- मृत्यु संबंधी जानकारी मिलते ही आप मृत्यु स्थल यानि अस्पातल पहुॅच जाए। मृत्यु के कारण जानने का कौषिष करनी चाहिए। कौषिष कीजिए की मृत महिला के परिजनों से बात कर जानकारी एकत्रित हो सकें। निम्न बातों के जरिये जानकारी एकत्रित किया जा सकता है:-
महिला को किस कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कौन सी गांव से महिला को लाया गया है। नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र में महिला को बताया गया था। कितने बजें मृत्यु हुई। मृत्यु के समय अस्पताल में डाॅक्टर (स्त्रीरोग विषेषज्ञ) मौजूद थे या फिर कोई अन्य। अस्पताल के कौन के कमरा में मृत्यु  हुई थी। क्या कारण था मौंत का। मृत महिला के परिजन में से कौन कौन से सदस्या अस्पताल आये है। महिला के मृत्यु के समय परिजन का कौन सा सदस्य घटना स्थल पर था। मृत शरीर को कहा रखा गया है। इत्यादि।

2. ईजाल संबंधी जानकारी:- महिला को अस्पताल में कब भर्ती किया गया था और कितने दिनों से भर्ती था। भर्ती के समय डाॅक्टर या डाॅक्टर के अलावे किसी और ने देखा था। भर्ती के दौरान अस्पातल से मिलने वाली सुविधा जैसे; दवा, खून की जांच, सोनोग्राफी जांच इत्यादि निःषुल्क मिला या बाजार से खरीदारी करनी पड़ी। इलाज के दौरान कितने पैसे खर्च हुए है और कितना। आपातकालीन इलाज के लिए डाॅक्टर मौजूद था।

3. षिकायत संबंधी जानकारी:- महिला के मृत्यु के बाद आपने (महिला के परिजन) अस्पताल में किसी से षिकायात किया है या कही षिकायत पेटी या अन्य किसी भी प्रकार से आपने महिला के मृत्यु का षिकायत लिखित या मौखिक रूप से किया है। क्या आपने ऐसा कही देखा है कि अस्पताल परिसर में किसी उच्च अधिकारीयों का फोन नम्बर है जिससे मृत्यु या अन्य इलाज संबंधी षिकायत फोन से किया जा सकता है। या कही षिकायत केन्द्र है जहां पर जा कर षिकायत किया जा सकता है।

4. रैफर संबंधी जानकारी:- अस्पताल में डाॅक्टर द्वारा महिला को रेफर की बात कही गयी थी अगर है तो जिस अस्पताल में महिला भर्ती थी उस अस्पताल से रेफरल अस्पताल कितने किमी की दूरी पर स्थित है। महिला के मृत्यु के कितने समय पहले डाॅक्टर द्वारा मृत महिला के परिजनों को रेफर के लिए कहा गया था। रेफर करते समय महिला की क्या स्थिति थी। डाॅक्टर द्वारा रेफर की बात कहने से तुरन्त पहले अस्पताल के अन्य कर्मचारी या डाॅक्टर द्वारा परिजनों के सदस्यों से किसी प्रकार के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करवाया था। जैसे; ‘‘इलाज के दौरान अगर महिला की मृत्यु हो जाती है तो डाॅक्टर की जवाबदारी नही होकर परिजनों की होगी। क्योकि डाॅक्टर ने हमें रेफर के लिए पहले ही बोल दिया है मैं अपने मर्जी से ईलाज करवा रहा हूॅ।’’ रेफर कर अन्य अस्पताल जाने के लिए एम्ब्युलेंष की सुविधा देने की बात कही थी। रेफर का कारण बताया गया था।  

5. कर्मचारियों (डाॅक्टर, नर्स एवं आया) का व्यवहार के संबंधी जानकारी:- महिला को अस्पताल में भर्ती के दौरान अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा महिला या उसके परिजनों के साथ दुव्यवहार (महिला के साथ प्रसव कक्ष में मार पीठ करना, महिला के परिजनों को उनके भाषा में गाली देना, महिला एवं परिजनों के साथ हिन भावना रखना, सही राह नही दिखाना एवं किसी प्रकार की बात को कर्मचारी द्वारा परिजानों के साथ चिल्लाकर बोलना। इलाज के लिए पैसे की मांग करना इत्यादि।) किया है।


6. आपातकालीन सेवा के संबंध में जानकारी:- आप परिजनों से यह जानकारी लेना न भूले कि महिला को आपातकालीन समय डाॅक्टर द्वारा जांच किया गया था। जैसे; महिला को रात 12 बजें किसी प्रकार की समस्या होने पर डाॅक्टर द्वारा जांच किया गया था या उपस्थित नर्स द्वारा ही जांच किया गया था। अस्पताल में डाॅक्टर मौजूद नही होने पर क्या ड्युटी नर्स ने डाॅक्टर को काॅल कर बुलाया था। अगर डाॅक्टर का घर अस्पताल के परिसर में है तो क्या आपको बुलाने के लिए भेजा था।

7. रोगी सहायता केन्द्र से मदद:- बड़े अस्पतालों (200 से 250 बेड) में रोगी सहायता केन्द्र होना चाहिए। परिजनों से यह मालूम करें की क्या ऐसी कोई व्यवस्था अस्पताल परिसर में है, आपको मालूम है अगर है तो क्या रोगी सहायता केन्द्र से आपको किसी प्रकार का मदद मिला। और अगर मिला है तो क्या-क्या।

8. परिजनों को ईलाज संबंधी जानकारी:- मृत महिला के परिजनों से यह जानकारी लेना चाहिए कि क्या डाॅक्टर द्वारा ईलाज करते दौरान महिला कौन सी परिस्थिति में या किस प्रकार की तकलीफ है इसकी जानकारी आपलोगो को डाॅक्टर द्वारा दिया गया था। जैसे; महिला के पेट में ही बच्चा मर गया  हो, पेट में बच्चें का स्थिति ठीक नही है, आॅपरेषन कर बच्चा निकाला जाएगा या फिर इस अस्पताल में महिला का ईलाज संभव नही है किसी और बड़े अस्पताल ले जाना होगा। महिला को क्या हुआ है। इत्यादि की जानकारी डाॅक्टर द्वारा दिया गया था।

9. पोस्टमार्टम संबंधी जानकारी:- मृत्यु के बाद महिला का पोस्टमार्टम किया गया था, डाॅक्टर द्वारा महिला की मौंत के कारण बताया था। मौंत का कारण जानने के लिए डाॅक्टर ने पोस्टमार्टम किया था अगन नही तो क्या आपने पोस्टमार्टम के लिए डाॅक्टर को बोला था। आपको मालूम है कि किस कारण से मौंत हुई है।

10. शव वाहिनी सुविधा के संबंधी जानकारी:- मृत महिला का शव को घर ले जाने के लिए क्या आपलोगो को शव वाहिनी की सुविधा दिया गया है। या किसी ने आपलोगो को बोला है कि शव वाहिनी की सुविधा मिलेगी। अगर नही तो आप लोग क्या करने वाले है।

‘‘संस्थागत मातृ मृत्यु समीक्षा करते समय संबंधित परिजानों के परिस्थिति एवं भावनाओं को ध्यान में रखते हुए करें ताकि परिजन को आपके बातों को ठेस न पहुॅचे और परिजन मृत्यु संबंधी जानकारी आपके दे पायें। इसके लिए हो सके तो परिजन के एक से दो सदस्य को घटना स्थल से अलग कर जानकारी लिया जाए। साथ ही समुदाय स्तर में मातृ मृत्यु समीक्षा की बातों को ध्यान में रखते हुए घटना की समीक्षा करें।’’


समुदाय स्तर में मातृ मृत्यु समीक्षा करने के लिए निम्न बातों पर ध्यान देने की आवष्यकता है।

सामान्य बातें:-
सर्व प्रथम अपने बारे में पूरी जानकारी दी जानी चाहिए।
परिजनों को आष्वासन देना चाहिए कि आपके द्वारा दी गई जानकारी को गोपनीय रखा जायगा।
मातृ मुत्यु समीक्षा के महत्व एवं लाभ के बारे में संबंधित जनों को पूर्ण जानकारी दी जानी चाहिए।
मृत महिला के परिजनों से जानकारी ली जाए, और जहाॅ तक सम्भव हो उस सदस्य से जानकारी ली जाए जो जटिलता के आरंभ से लेकर मृत्यु तक महिला के साथ था।
जानकारी पूछने से पहले परिवार से सहमति ली जानी चाहिए, अगर परिवार जानकारी देने की स्थिति में नही है तो कृपया आप जानकारी न ले।
परिजनों की सहमति मिलने के बाद भी जब तक परिजन आप पर पूरी तरह विश्वास न करें तब तक जानकारी नही लेना चाहिए। (परिजनों को विश्वास में लेने के लिए आप उनके पारिवारिक स्थिति, खेती एवं अन्य बातें करना चाहिए।)
मातृ मृत्यु समीक्षा करते समय कम से कम दो व्यक्तियों को जाना चाहिए जिससे एक व्यक्ति परिजनों से बात करें एवं अन्य व्यक्ति जानकारी को नोट कर सकें।
जानकारी लेने वाले व्यक्ति को प्रपत्र के बारें में पूरी जानकारी होना चाहिए ताकि परिजनों के समक्ष बार-बार प्रपत्र न देखना पड़े।
कुछ जानकारी ऐसी है जिसे पुछा नही जाता जैसे महिला विवाहित थी या नही।
परिजन जिस भाषा में जानकारी देने में संतुष्ट है उसे उसी भाषा में जानकारी लेना चाहिए।
परिजन पूरी जानकारी दे सके इसके लिए आप परिजन के सदस्यों को घटना के संबंध में सांत्वना भी देना चाहिए।
महिला की मृत्यु जिस स्थिति (गर्भवस्था के दौरान, प्रसव के दौरान, प्रसव के बाद) में हुई है उस स्थिति के लिए निर्धारित प्रपत्र के आधार पर ही जानकारी पुछी जानी चाहिए।
इन सब बातों के लिए जानकारी लेने वाले व्यक्ति को स्थानीय भाषा एवं उस क्षेत्र की जानकारी होना आवश्यक है।
जानकारी लेते समय आप कोशिश करे कि परिजन के अलावे कम से कम दूसरे व्यक्ति जानकारी स्थल पर बैठे हो।

समीक्षा प्रपत्र भरते समय की बातें

परिजनों से मृत महिला का नाम, उम्र, षिक्षण योग्यता, बच्चों (मृत्य एवं जीवित) की जानकारी सर्व प्रथम लेना चाहिए।
परिजन जब घटनाक्रम के बारें में जानकारी दे रहे हो तब बीच में किसी प्रकार के सवाल पुछ कर परिजनों को जानकारी देने में बधित नही करना चाहिए।
परिजनों के अलावा आस पास में बैठे लोग किसी प्रकार की जानकारी देते है तो उसे बीच में नही रोकना चाहिए तथा उसे भी नोट कर लेना चाहिए। पर अपने सवाल से नही भटकान चाहिए।
परिजनों से स्पष्ट एवं सत्य जानकारी प्राप्त करने के लिए जानकारी को अलग-अलग प्रकार से पूछना चाहिए।
जानकारी देने वाला व्यक्ति भावुक हो जाए तो जानकारी लेना वही पर रोक देना चाहिए एवं उसे सांत्वना देना चाहिए। परिजनों के सामान्य होने के बाद पुनः जानकारी के लिए सहमति लेना चाहिए।
जानकारी देने वाला व्यक्ति के हाव-भाव पर भी ध्यान रखना चाहिए। जिससे गलत जानकारी देने पर पुनः जानकारी ली जा सकें।
जानकारी पुर्ण होने के बाद परिवार को धन्यवाद देना न भुले साथ ही यही भी बता दे की आवष्यकता पड़ने पर आपसे पुनः संपर्क किया जाऐगा।
जानकारी पूर्ण होने के बाद समीक्षा प्रपत्र में देख लेना चाहिए की जानकारी पूर्ण हो गई है या नही।
जानकारी पूर्ण होने के बाद परिजनो को नोट की गई जानकारी को पढ़ कर बताना चाहिए। जिसमे उनकी आपत्ती हो उसे संषोधित करना चाहिए।


अजय विष्वकर्मा
साथी, बड़वानी म.प्र.

Wednesday, May 30, 2012

स्वास्थ्य -अधिकारगत नजरिये से


स्वास्थ्य -अधिकारगत नजरिये से
अधिकारगत नजरिया मानव के स्वास्थ्य हेतु बनाये जाने वाले कार्यक्रमों और उसके मापदंडो को सुनिष्चित करने का माध्यम है।
इस अधिकारगत नजरिये का मतलब है, जो भी कार्य सरकार द्वारा लोगो के भलाई के लिये चलाये जाते है उनका मानवाधिकार गत ढाॅंचे में उन अधिकारो को ठीक उसी प्रकार से लागू करना जिससे कि न सिर्फ लोगो के अधिकारो की रक्षा हो सके बल्कि तय किये गये मानको के अनुसार नागरिको के सम्मान, और सेवाओं तक पहॅुंच को उनकी जरूरत के अनुसार सुगम बनाना।
अधिकारगत नजरिये के अन्तर्गत जवाबदेही, सहभागिता, सभी प्रकार के भेदभाव से मुक्त और अविभाज्य जैसे चार सिद्धान्त आते है।
स्वास्थ्य के अधिकार को 1946 मे विष्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्थापित किया गया और 1948 मे मानवाधिकार घोषणा पत्र मे भी षामिल किया गया स्वास्थ्य का अधिकार आज 100 देषो के संविधान मे षामिल हो चुका है।
स्वास्थ्य का अधिकार क्या है-
सन 2000 मे संयुक्त राष्ट्रसंघ ने स्वास्थ्य के अधिकार को लेकर कुछ मानक तय किये। यह मानक इसलिये बनाये गये जिससे यह पता चल सके कि जो स्वास्थ्य को लेकर कार्यक्रम चलाये जा रहे है वह गुणवत्तापरक है कि नही। इन मानको को बनाये रखने कि पहली जिम्मेदारी सरकार की है जो अपने देेष के नागरिको के स्वास्थ्य कि गुणवत्ता बनाये रखने कि जिम्मेदारी लेती है।
यह गुणवत्तापरक मानक निम्न प्रकार से हैः
उपलब्धता - इसका तात्पर्य है कि वह जनस्वास्थ्य सुविधायें जो लोगो के लिये जरूरी है वह उन्हें उपलब्ध हो जैसे कि आवष्यक सामग्री व सेवाओ का उचित प्रबन्ध जिसके अन्तर्गत कम से कम साफ पिने का पानी, उपयुक्त साफ सफाई, युक्त अस्पताल और क्लीनिक, प्रषिक्षित चिकित्साकर्मी, आवष्यक दवायें और चिकित्सा कर्मियों के लिये उपयुक्त मासिक भत्ता।
पहॅंुच- इसका मतलब है जो भी स्वास्थ्य सेवाऐं दी जाए, वह लोगों की षारीरिक व आर्थिक स्थिति के अनुसार हो, उस पर उनकी पहंुच हो। यह सेवाऐं बिना किसी भेदभाव के सभी को समान रूप से प्रदान किया जाएं। इन सेवाओं की जानकारी निःषुल्क सभी को उपलब्ध हो और उस तक उनकी पहुंच हो।
स्वीकार्यता- इसका मतलब है कि सभी स्वास्थ्य सुविधाएं चिकित्सा के नैतिक मापदंडो के अनुसार हो अैार सांस्कृतिक रूप से मान्य, जेण्डर समानता अैार लोगो कि आवष्यकताओ के अनूरूप हो साथ ही अैर जो उनकी गोपनीयता को बनाए रखे।
गुणवत्ता- गुणवत्ता का मतलब है कि स्वास्थ्य और सुविधाएं, सामाग्री और सुविधाएं, विज्ञान और चिकित्सीय मापदंडो के अनुसार हो और अच्छी गुणवत्ता पर आधारित हो । साथ ही इस प्र्रकिया में प्रषिक्षित चिकित्सा कर्मी, समयावधी के अन्तर्गत प्रयोग की जाने वाली दवांए, उपकरण, सुरक्षित पीने योग्य पानी और उपयुक्त पोषण हेतु दी जाने वाली सुविधाएं इसके अन्तर्गत निहित है।
स्वास्थ्य का अधिकार किस प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है-
जो भी कार्यक्रम मानव विकास हेतु चलाये जाते हैं उनके अन्तर्गत स्वास्थ्य का अधिकार और उन कार्यक्रमों की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए निगरानी उसका एक भाग र्है।
इन कार्यक्रमों में अधिकार सुनिष्चित करने के लिए निम्न तीन प्रकार के माध्यम अपनाए जाते हैं-
विष्लेषण की व्यवस्था: स्वास्थ्य के मानको और अधिकार का उपयोग जैसे:

  • कौन सा मानक उपयोगी है और कौन सा अभी भी प्राप्त करने की जरुरत है।
  • स्वास्थ्य सेवा देने की जिम्मेदारी किसकी है और कौन गुणवत्ता परक स्वास्थ्य सुनिष्चित करता है।
  • कौन सा मानक पुरा किया गया है और किसके द्वारा स्वास्थ्य मानको को बनाये रखा गया है।
  •  . कार्यान्वयन के माध्यम:जो भी स्वास्थ्य से जुडे कार्यक्रम बनाये जाते है वह निम्न चार सिद्वान्तो के आधार पर बनाये जाते है। 
  • समानता और भेदभाव मुक्त: इसका मतलब है कि जो भी स्वास्थ्य सेवाए दी जा रही है वह व्यक्ति उम्र, भाषा, जाती, धर्म, जेंडर और भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर न होकर सबके लिए एक समान और बिना भेदभाव से मुक्त हो।   
  • सहभागिता: इसका मतलब है कि जो भी स्वास्थ्य से जुडे कार्यक्र्र्र्र्र्रम समुदाय, राज्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बनाये जा रहे है उनमे लोगो की सहभागिता है कि नही ? यह सुनिष्चित करना। सामुदायिक स्तर पर लोगो का जुडाव बनाये रखने के लिय,े उनको षिक्षित, प्रषिक्षित और जागरुक करने के लिये विभिन्न संस्थाओ द्वारा जो भी योगदान दिया जाना है उसमे उनकी सहभागिता तय करना।   
  • जवाबदेही: जो भी जनस्वास्थ्य से जुडी सेवाएं सरकार द्वारा लोगो को दी जा रही है, उन सेवाओ को देने के लिये सरकार के पास पर्याप्त संसाधन व माध्यम है कि नही उसके प्रति सरकार की जिम्मेदारी जवाबदेही तय करना। 

  •  पैरोकारी बिन्दु: मानवाधिकार संगठनो और सामुदायिक संगठनो के साथ काम करना , उदाहरण के लिए-
  • यह सुनिष्चित करना कि जनस्वास्थ्य के अधिकारो की रक्षा और उसे बनाये रखने के लिये जो प्रक्रिया तैयार की गई है वह ठीक प्रकार से काम कर रहा है।
  • स्वास्थ्य अधिकार हेतु बनाये गये मानको के लिये उसपर काम कर रही सरकार और संस्थाओ के काम की निगरानी करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय मानको की निगरानी करना जिससे यह पता चल सके कि सरकार जो भी स्वास्थ्य कार्यक्रम चला रही है उसमें लोगो के अधिकार, रक्षा, सम्मान बनाये रखने और पुरा करने के प्रयास किये जा रहे है कि नही।  

प्रवेष वर्मा-सहयोग

‘निःषुल्क मातृ स्वास्थ्य सेवाओं’’ के अनुभव पर ग्राम-स्तरीय सर्वेक्षण




‘‘निःषुल्क मातृ स्वास्थ्य सेवाओं’’ की हकीकत - प्रति महिला औसतन 1298रू0 का खर्च



‘‘निःषुल्क मातृ स्वास्थ्य सेवाओं’’ की हकीकत - प्रति महिला औसतन 1298रू0 का खर्च



उ0प्र0 के 10 जिलों के 18 बलाक के 188 राजस्व गाॅव  मे ‘‘महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच’ के महिलाओं के द्वारा ‘‘निःषुल्क मातृ स्वास्थ्य सेवाओं’’ के अनुभव पर ग्राम-स्तरीय सर्वेक्षण 370 महिलाओं  किया गया। इन सर्वेक्षण के आॅकडों की प्रस्तुति दिनाॅक 28 मई 2012 को की गयी, जो कि ‘‘ महिला स्वास्थ्य के लिए अन्र्तराष्ट्रीय कार्य दिवस’’ है ।
अध्ययन के चैकाने वाले आंकड़ों से निकला कि 370 गरीब महिलाओं ने सरकारी अस्पतालों में निःषुल्क मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं को प्राप्त करने के लिए 4ए88ए701 रु0 अनावष्यक रूप से खर्च करना पड़ा। आंकड़ों से यह भी पता चला कि एक गर्भवती महिला को प्रसव के दौरान जननी सुरक्षा योजना के तहत 1400रु0 मिलते हैं, जिसको पाने के लिए महिला को कम से कम 498रू0 तथा  अधिकतम 2754रू0 और कुल मिलाकर औसतन 1298 रु0 खर्च करने पड़ रहें हैं। परन्तु स्वास्थ्य विभाग के अनुसार समस्त मातृत्व स्वास्थ्य सुविधायें निःषुल्क हैं।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की ओर से उत्तर प्रदेष में 2005-11 के दौरान  लगभग 8657 करोड़ रु0 आवंटित किया गया था।  इसकेे बाद भी अफसोस की बात है कि गरीब जनता को निःषुल्क मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं को प्राप्त करने के लिए प्रति महिला औसतन 1298 रु0 खर्च करने पड़ रहे है
जमीनी स्तर का महिलाओं का फोरम ‘‘महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच’ 10 जिलों के 11000 गरीब, ग्रामीण व वंचित महिलाओं का एक मंच है जो पिछले 6 सालों से महिला स्वास्थ्य व विभिन्न जुड़े मुददों पर महिलाओं के अधिकारों की निगरानी व उनकी पैरोकारी करती आ रही हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप मंे उ0प्र0 राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिषन, के मिषन डायरेक्टर, श्री मुकेष कुमार मेसराम जी ने कहा कि आप लोगों से जो जानकारी मिली वह काफी चिन्ताजनक है खासकर ग्रामीण महिलाओं की। कहा इस पूरे लाचार व्यवस्थो में सरकारी लोगों की संवेदनषीलता की कमी है व एैसे लोगों के साथ कड़ी कार्यवाही की बात की। इसी के साथ तकनीकि आधारित मेरा स्वास्थ्य मेरी आवाज अभियान की सराहना करते हुए उसकी लिंक ूूूण्उमतंेूंेजीलंउमतपंूं्रण्वतह उ0प्र एन0आर0एच0एम0 की वेवसाईट से लिंक करने करने के साथ प्रदेष के अन्य जिलों में फैलावं की बात की।
हिन्दुस्तान टाइम्स की रेसीडेन्ट एडि़टर सुश्री सुनीता ऐरन जी कहा कि एक तो महिलाओं को मातृत्व स्वास्थ्य सेवायें मुफ्त मे तों मिलना ही चाहिये व इन सेवाओं की गुणवत्ता पर भी ध्यान देना चाहिए।
डी0जी, आषा एवं समुदायिक स्वा0, डा0 हरिओमग दिक्षित जी कहा कि औरतो का सषक्तिकरण होना अनिवार्य है ताकि वह अपने अधिकारों की पैरवी खुद कर सके।
सोसल एक्टविस्ट सुश्री अरूंधति धुरू जी ने कहा कि विकास में महिला के मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं के बारें में राजनीतिक लोंगों के द्वारा कभी  बात नही की जाती है न ही कोई इसको लेकर पाल्टिकल बिल है जिसके बारें में हम लोगों को सोचने की जरूरत है। उन्होने सरकार के द्वारा महिलाओं को मूलभत सुविधाओं को देने में सरकार की महत्वता और स्वास्थ्य विभाग में सामाजिक आडिट और पारदर्षिता की बात की।
मंथन प्रोजेक्ट के ड़ायरेक्टर श्री आमोद कुमार जी कहा कि हमेें मातृत्व स्वास्थ्य की समस्याओं को लेकर मीडिया के साथ साझा करना चाहिए और सरकारी स्वासथ्य व्यवस्था में अच्छे लोगों को भी चिन्हित करना चाहिए। साथ स्थानीय राजनीतिक लोग व विधायकों के साथ पैरोकारी करना चाहिए।
सहयोग लखनऊ से सुश्री जषोधरा जी  ने कहा कि इस समय उ0प्र0 में स्वास्थ्य सुविधाओं को समुदायिक स्तर पर निगरानी करने की जरूरत है।
इसी अवसर पर मातृत्व स्वास्थ्य के केसों को षेयर किया गया व साथ ही इस अवसर पर ‘‘महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच’ की सहजकर्ता मार्गदर्षिका पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
कार्यक्रम के सह सयोंजक हेल्थवाॅच फोरम उ0प्र0 स्वैच्छिक संगठनों एवं  समाजकर्मियों का मंच है जो प्रजनन स्वास्थ्य व अधिकारों की पैरोकारी व निगरानी करती है। कार्यक्रम का आयोजन लखनऊ के गोमती नगर स्थित ‘‘संगीत नाटक एकेडमी’’ में किया गया था।  जिसमें प्रदेष के 10 जिलों से करीब 100 महिलायें व लखनऊ से करीब 10 स्वैच्छिक संगठनों ने भी प्रतिभाग किया।

भवदीय!
  संध्या, तिथि, प्रवेष
(हेल्थवाॅच फोरम उ0प्र0 एवं महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच उ0प्र0 के ओर से)