Saturday, April 21, 2012

महिलाओं की मांग -हमें वादे नहीं विकास दें !



‘‘यदि हम महिलाओं का चहुंमुखी विकास करना चाहते हैं व वास्तव में उन्हें स्वावलम्बी बनाना चाहते हंै तो इसके लिए राजनीति में महिलाओं की बराबर भागीदारी सुनिष्चित करना अत्यंत आवष्यक है। हमारे देष में आज भी महिलायें अपने अधिकारों से वंचित हैं। उनकी मूलभूत आवश्यकतायें जैसे पौष्टिक भोजन, षिक्षा, रोजगार आदि भी पूरी नहीं हो पाती हैं। वे आज भी समाज में दोयम दर्जे का जीवन बिता रही हैं। ऐसे में ये अत्यंत आवश्यक हो जाता है कि महिलाओं को राजनीति में बराबर भागीदारी का मौका मिले ताकि महिलाएं सत्ता में आगे आएं व उनकी नेतृत्व क्षमता का विकास हो।’’ ये कहते हुए सुश्री अरूंधती धुरू ने महिलाओं की पंचायत में भागीदारी की आवश्यकता पर अपने विचार व्यक्त किये। वे मंगलवार को पंचायत में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने, पारदर्शी व निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू किए जा रहे अभियान ’’हमारी पंचायत- हमारा राज अभियान,2010,उ0प्र0’’ के शुभारंभ व इसके लिए प्रस्तावित घोषणा पत्र के विमोचन के अवसर पर आयोजित प्रेस वार्ता में पत्रकारों को संबोधित कर रही थीं। ये अभियान परिवर्तन में युवा (उ0प्र0), महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच (उ0प्र0) व मैसवा के सामूहिक प्रयास से  उ0प्र0 के 24 जिलों के 72 ब्लाकों में चलाया जाएगा।

इस मौके पर बोलते हुए सुश्री निशी मेहरोत्रा ने कहा कि किसी भी क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए हर स्तर पर महिलाओं की बराबर भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। जब तक हर क्षेत्र में महिलाओं का दखल नहीं बढ़ता तब तक हम सम्पूर्ण विकास की अपनी परिकल्पना को साकार नहीं कर सकते हैं।

कार्यक्रम में आगे अपने विचार व्यक्त करते हुए सुश्री जषोधरा दासगुप्ता ने कहा कि अब हमें न सिर्फ महिलाओं को बल्कि युवाओं को भी  अपने विकास व बराबरी से जुड़े मुख्यधारा के प्रयासों में शामिल करना चाहिए। महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए ये अति आवश्यक है कि हर क्षेत्र व हर स्तर पर  उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाए। साथ ही महिला उत्थान से जुड़ी तमाम योजनाओं व प्रयासों की सतत् निगरानी भी की जाए।

अभियान की जानकारी देते हुए मैसवा से षिषिर ने बताया कि ये अभियान 24 जुलाई, 2010 से शुरु होकर  पंचायती चुनाव के समापन तक चलेगा। ग्रामीण मतदाता को आज वादे नहीं विकास चाहिये। इसलिये अभियान के दौरान लोगों को उनके वोट, सही प्रत्याशी के चुनाव का महत्व बताते हुए चुनावी प्रक्रिया में समुदाय की सक्रिय भागीदारी के विषय में जागरुक किया जाएगा। इसमें मतदाताओं को मतदान व नामांकन जैसी प्रक्रियाओं के विषय में भी जागरुक किया जाएगा। अभियान का केन्द्र बिन्दु महिलाओं को एक मतदाता, प्रत्याशी व एजेन्ट के रुप में चुुनावी प्रक्रिया में प्रतिभागिता एवं निगरानी करने के लिए प्रेरित करना होगा। अभियान की 3 माह की समयावधि में ग्राम, ब्लाॅक व जिला स्तर पर कई गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। इन गतिविधियों में ग्राम स्तरीय रैली, पर्चा वितरण, दीवार लेखन, मतदाता जागरुकता पर चर्चा के सत्र शामिल हंै। ब्लाॅक के स्तर पर नामांकन के समय प्रक्रिया से जुड़ी जानकारी अथवा मदद उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ब्लाॅक स्तरीय सहायता शिविर लगाया जाएगा जो कि नामांकन के तीनों दिन सक्रिय रहेगा। इसके अलावा पूरी चुनावी प्रक्रिया  की निगरानी करने के उद्देश्य से जिला स्तरीय निगरानी समितियो का गठन किया जाएगा। ये समितियां निगरानी करने के साथ साथ कोई आपत्तिजनक, अप्रिय अथवा गैरकानूनी कार्य की जानकारी मिलते ही  इसकी सूचना/ शिकायत संबंधित अधिकारी से करेंगी। चुनाव में जीतने वाली महिला प्रत्याषियों को समुदाय द्वारा सम्मानित भी किया जाएगा।

इस अभियान की जानकारी राज्य चुनाव आयोग को दी जा चुकी है। इस अवसर पर अभियान के लिए प्रस्तावित घोषणा पत्र पर भी चर्चा की गई। साथ ही अभियान में इस्तेमाल की जा रही प्रचार सामग्री को भी प्रदर्शित किया गया।

अभियान में शामिल जिलों के नाम इस प्रकार हैं - बांदा, चित्रकूट, गोरखपुर,झांसी, बरेली, आजमगढ़ सिद्धार्थनगर, बलिया, वाराणसी, चन्दौली, मिर्जापुर, कुशीनगर, जौनपुर, मुजफ्फरनगर,मऊ,गाजीपुर, ललितपुर, कौशाम्बी, महोबा, इलाहाबाद, हमीरपुर, बस्ती, प्रतापगढ़, जालौन

हमारी पंचायत-हमारा राज अभियान- 2010, उ0प्र0


संकल्पना - प्रपत्र
उ0प्र0 में पंचायती राज चुनाव की घोषणा की जा चुकी है और चारांे ओर राजनीतिक सरगरमियां भी बढ़ गई हैं। प्रत्याषी, पार्टियां, चुनाव आयोग, सम्बन्धित विभाग व व्यक्ति एक बार फिर अपने-अपने कार्य में सक्रिय हो चुके हैं। ये सक्रियता अब धीरे-धीरे तेजी पकड़ती जायेगी। इस सब के बीच एक समूह जो  खामोष है वो है मतदाता, जिसका मत व समर्थन पाने के लिए प्रत्याषी व पार्टियां कुछ दिन बाद साम, दाम, दण्ड , भेद, हर तरीका अपनाते दिखेेंगे। इसी समूह को जागरूक करने व निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया सुनिष्चित करने के लिए संबंधित विभाग भी मेहनत कर रहे हैं।  लेकिन फिर भी कभी जागरूकता के अभाव में या रसूखदारों के भय से अधिकांषतः हम एक अच्छा नेता पाने से चूक जाते हैं। 33ः आरक्षण  के बाद भी चुनाव प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी को न ही प्रत्याषी के रूप में बढ़ा पाते हैं और न ही मतदाता के रूप में।
अतः इन सब समस्याओं का हल निकालने की  में और पंचायती राज चुनाव में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने, एक निष्पक्ष व पारदर्षी चुनावी प्रक्रिया सुनिष्चित करने के उद्देष्य से एक कदम बढ़ाते हुए परिवर्तन में युवा, महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच व मैसवा द्वारा उ0प्र0 के 24 जिलों के 72 ब्लाॅकों में ‘हमारी पंचायत हमारा राज अभियान-2010,उ0प्र0’ शुरू किया जा रहा है। अभियान में मतदाताओं को मतदान का महत्व बताते हुए इसमें प्रतिभाग करने हेतु जागरूक किया जाएगा। साथ ही महिलाओं को चुनाव प्रक्रिया में प्रतिभाग करने हेतु प्रेरित किया जाएगा।
ग्रामीणों की आवश्यकताओं व समस्याओं को ध्यान में रखते हुए एक घोषणा पत्र भी बनाया गया है जिसमें ग्रामीणों की अपनी पंचायत व उसके सदस्यों से क्या अपेक्षायें हैं,ये लिखा गया है। 
2 से 2.5 माह के इस अभियान के दौरान ग्राम, ब्लाॅक व जिला स्तर पर कई प्रकार की गतिविधियाँ आयोजित की जायंेगी। साथ ही नेतृत्वकारी महिलाओं व युवाओं के लिए दो दिवसीय आवासीय प्रषिक्षण भी आयोजित किया जाएगा। अभियान के अन्तर्गत तीनों नेटवर्क के अलग-अलग साथियों को अलग-अलग स्थानों पर तीन बार प्रषिक्षण दिया जा चुका है। ग्राम स्तरीय गतिविधियों में ग्रामीणों के साथ चुनाव प्रक्रिया पर चर्चा की जाएगी, प्रत्याषी के साथ जनता का आमना - सामना, पर्चा वितरण, रैली, घोषणा पत्र व प्रत्याशी चयन के आधार पर चर्चा की जाएगी। ब्लाॅक के स्तर पर नामांकन के समय प्रक्रिया से जुड़ी जानकारी अथवा मदद उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ब्लाॅक स्तरीय सहायता षिविर लगाया जाएगा जो कि नामांकन के तीनों दिन सक्रिय रहेगा।
इसके अलावा पूरी चुनावी प्रक्रिया  की निगरानी करने के उद्देश्य से जिला स्तरीय निगरानी समितियो का गठन किया जाएगा। ये समितियां निगरानी करने के साथ साथ कोई आपत्तिजनक, अप्रिय अथवा गैरकानूनी कार्य की जानकारी मिलते ही  इसकी सूचना/संबंधित अधिकारी से करेंगी।
हम इस उम्मीद के साथ इस अभियान को आगे बढ़ायेंगे कि इन पंचायती चुनावों में  योग्य व कुशल नेता जीतेे जो ग्रामीणों की समस्याओं व जरूरतों को समझते के साथ-साथ उनका निस्तारण भी करें। हमारी ये भी कोषिश रहेगी कि हम अधिक से अधिक कुशल महिलाओं की प्रत्याषी के रूप में व सभी महिलाओं की जागरूक मतदाता के रूप में इस पंचायती चुनाव में  प्रतिभागिता सुनिश्चित कर सकें। हो सकता है कि हमारी ये  वर्तमान राष्ट्रीय राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में बहुत छोटी दिखाई दे लेकिन महिला , जागरूक नागरिक, कुषल नेता एवं सम्पूर्ण विकास को सुनिष्चित करने की दिषा में इस प्रयास के दूरगामी परिणाम निःसंदेह सुखद होंगे।
 जाहिर है हमारे इस प्रयास में हमें संबंधित सरकारी तंत्र व आपके समर्थन की बहुत आवश्यकता होगी। हम उम्मीद करते हैे कि जमीनी विकास व हर क्षेत्र व हर स्तर पर बराबरी सुनिश्चित करने  की दिषा में किए जा रहे इस प्रयास में हमें आपका समर्थन प्राप्त होगा।
अभियान में शामिल जिलों के नाम इस प्रकार हैं - बांदा, चित्रकूट, गोरखपुर,झांसी, बरेली, आजमगढ़ सिद्धार्थनगर, बलिया, वाराणसी, चन्दौली, मिर्जापुर, कुशीनगर, जौनपुर, मुजफ्फरनगर,मऊ,गाजीपुर, ललितपुर, कौशाम्बी, महोबा, इलाहाबाद, हमीरपुर, बस्ती, प्रतापगढ़, जालौन 
धन्यवाद
 हमारी पंचायत हमारा राज अभियान- 2010,उ0प्र0

ग्रामीण महिलाओं के पाँच सालों का सफरनामा


 27 मई 2011 अन्तर्राष्ट्रीय महिला स्वास्थ्य कार्य दिवस की पूर्व संध्या पर, अपने पाँच साल पूरे होने के उपलक्ष्य में, महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच की महिलाओं द्वारा उठाये गये कदमों पर संघर्ष की सफल कहानियों पर आधारित पुस्तक ’’हमारी कहानी हमारी जु़बानी’’  पाँच सालों का सफरनामा 2006-11 का विमोचन जनवादी महिला संगठन से सुभाषिनी अली और सुप्रीम कोर्ट की राईट टू फूड की सलाहकार अरूंधती धुरू व अन्य के द्वारा किया गया। 
महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच की ओर से सुश्री रेहाना आदीब ने बताया कि महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच, जो कि उत्तर प्रदेष के 10 जनपदो में 11000 महिलाओं का मंच है, जोकि महिलाओं के स्वास्थ्य अधिकारों के लिए पिछले पाँच वर्षों से लगातार संघर्ष कर रहा है। मंच की महिलाओं द्वारा विभिन्न माध्यमों से सरकारी तंत्र पर निगरानी व मांग, प्रभावषाली तरीक से किया गया है।  
राष्ट्रीय जनवादी महिला संगठन से सुभाषिनी अली जी ने महिलाओं को संबोधित करते हुये कहा कि हमें यह पहचानना जरुरी है कि वास्तविक लड़ाई किसके साथ है। हमारी वास्तविक लड़ाई सरकार के साथ है जो कि ऐसी नीति बनाती है जिससे गरीबी को मापने का कोई ठोस मानक नहीं है।   
चन्दौली जिले से संघर्ष की साथी महिला प्यारी देवी ने अपने संघर्षों की कहानी को साझा करते हुये कहा कि आज महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच के पाँच साल पूरे होने के साथ, इस संगठन से जुडने के बाद हम सब महिलाओं में बहुत सारे सकारात्मक बदलाव हुये हैं, जैसे कि हम सब पहले सरकारी अधिकारियों के सामने बोल नहीं पातीं थीं और मुद्दों को भी समझ नहीं पाती थीं लेकिन आज अधिकारियों से बात कर लेती हैं और मुद्दों की पहचान करने लगीं हैं और अब एकजुट होकर आवाज उठाने लगीं हैं। पाँच साल के दौरान में महिलायें अपने अधिकारों को लेकर काफी आगे आ गई हैं और अन्य महिलाओं के लिये भी कदम उठाना षुरु किया है। 

महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच से जुड़ी मिर्जापुर की झम्मन देवी ने बताया कि मंच की महिलाओं के द्वारा विभिन्न प्रयास जैसे अनटाइड फण्ड  के इस्तेमाल की निगरानी, मातृ मृत्यु की घटनाओं पर जन सुनवायी, उप स्वास्थ्य केन्द्र की निगरानी, पोषण की स्थिती को जानने हेतु आंगनवाड़ी केन्द्रों की निगरानी आदि करती आयी है।

सुप्रीम कोर्ट में भोजन के अधिकार की सलाहकार अरूंधती धुरू ने कहा कि आज महिलाओं की आवष्यकता को ध्यान में रखते हुये  हमें अपने देष में व्याप्त गरीबी को पहचानना चाहिए और गलत ढंग से गरीबी को नहीं अंकित करना चाहिए, जैसे कि आज के दिन बढते हुए राषन के दामों को देखते हुए क्या ग्रामीण इलाकों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को 15 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से दो जून की रोटी मिल पाना सम्भव है?

कार्यक्रम के दौरान संघर्षषील ग्रामीण महिलाओं द्वारा एक चित्र प्रदर्षनी व वृत चित्र का भी आयोजन किया गया, जिसमें महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच के संघर्ष के पाँच वर्षों की झलकियों को प्रदर्षित किया गया। साथ ही मातृ मृत्य रोकने हेतु संगठन की महिलाओं के द्वारा षपथ भी लिया गया।

कार्यक्रम का समापन महिलाओं के सामान्य जीवन यापन, अधिकारों और संघर्षो पर आधारित वृत्त चित्रों, वायसस फ्रॅाम द ग्राउण्ड और मदर करेजियस को भी महिलाओं के साथ साझा करते हुए कार्यक्रम का समापन किया गया। 
कार्यक्रम का आयोजन होटल गोमती, लखनऊ में किया गया जिसमें 10 जिलों से 150 महिलायें व 50 नेटवर्क के साथी, बुद्विजीवी वर्ग व छात्र छात्राएं षामिल हुये। 

महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच की ओर से 

महिला मुद्दों को राजनैतिक दलों के घोषणा पत्र में षामिल करने की महिलाओं ने की मांग



लखनऊ 27 दिसम्बर 2011, प्रेस क्लब लखनउ में हेल्थवाच फोरम उ0प्र0, महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच उ0प्र0 द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया जिसमें उ0प्र0 के 10 जिलों से आयी महिलाओं ने जो राजनीतिक दलों के मुख्यालयों में जाकर महिला मुद्दों को, आगामी विधान सभा चुनाव के घोषणा पत्र में षामिल कराने हेतु राजनीतिक दलों से मुलाकात व बातचीत के अनुभवों को मीडिया के साथ साझा करते हुए बताया कि मुख्य माॅगों के रूप में हिंसा, षिक्षा, महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य , महिलाओं के लिए रोजगार, किशोरीयों के प्रजनन स्वास्थ्य व उनके जीवन साथी चयन का अधिकारों को रखा।
राजनैतिक दलों के आयी प्रतिक्रिया के बारें में बताया गया कि भारतीय जनता पार्टी की ओर से आष्वासन दिया गया कि उनके घोषणा पत्र में महिला मुद्दों को षामिल करेंगे इसी क्रम में आजमगढ से आयी चन्द्रवती ने बताया कि समाजवादी पार्टी की और कहा गया है कि महिलाओं का मुद्वों को आज के समय में ध्यान में रखना बहुत ही जरूरी है अैार हम आपके मुद्वे को अपने साथ लेकर चलने की बात की।
चन्दौली से आयी तेतरा बानों ने बताया कि हमारे यहां स्वास्थ्य की स्थिती बहुत खराब है और जो योजनायें आती है वह हम तक नहीं पहुॅच पाती है तथा कहा कि हम लोग उसी राजनीतिक दल को वोट देंगे जो हमारे मुद्वों को षामिल करेगी।
एपवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व समाजसेवी ताहिरा हसन ने बताया कि उ0प्र0 में महिलाओं की स्थिति अन्य राज्यों की तुलना में काफी दयनीय वह चाहे हिंसा का मामला हो या फिर षिक्षा, स्वास्थ्य अथवा रोजगार अथवा संसाधनों तक महिलाओं की पहुँच का मुद्दा।
आली  से रेनू ने बताया कि आज महिलाओं को दोयम दर्जे की स्थिति में ले जा रहा है उनके साथ उनका घर,  उनके आफिस के साथ-साथ, राजनैतिक दलों के द्वारा भी भेदभाव किया जाता है।
मुजफ्फरनगर से आयी  अनीता ने बताया कि चुनाव के पूर्व हर आम नागरिक अपने नेता से काफी उम्मीद लिये रहता कि सत्ता में आने के बाद उनका नेता उनके हित को संरक्षित व सुरक्षित रखेगा और इसी सोच के साथ वो अपने नेता का चुनाव करता है। परन्तु सत्ता में आने के बाद स्थिति कुछ और ही होती है।
प्रेसवार्ता में 10 जिलों से करीब 40 महिलाओं ने भाग लिया तथा इन्ही महिलाओं ने उ0प्र0 की सभी राजनैतिक दलों के मुख्यालयों में जाकर राजनीतिक दलों से अपने चुनावी घोषणा पत्र में महिलाओं से संबन्धित मुद्वों को षामिल करने की अपील करते हुए कहा कि जो जो पार्टियाॅ इनको अपने घोषणा पत्र में षामिल  करेगी हम लोग उसी दल को वोट देंगे।

 भवदीय!
 (हेल्थवाॅच फोरम उ0प्र, महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच उ0प्र0 व अन्य सहयोगी साथी)

मेरा स्वास्थ्य मेरी आवाज अभियान




महिलाओं के स्वास्थ्य अधिकारों के लिए विषेष तकनीकि पहल


मातृत्व मृत्यु को रोकने के लिए सरकार के प्रयासों के बाद मातृत्व मृत्यु में कमी तो आई है  परन्तु आज भी उत्तर प्रदेष में मातृत्व मृत्यु दर एक लाख जीवित जन्म पर 359 है यानि कि ये महिलायें बच्चे के जन्म पूर्व या फिर जन्म के समय अथवा बाद में मृृत्य के मुॅह मे चली जाती है। मातृत्व मृत्यु को रोकने के अन्य प्रयास के तहत भारत सरकार के द्वारा जून 2011 को जननी षिषु सुरक्षा कार्यक्रम को लागू किया गया जिसका उद्वेष्य है गर्भवर्ती महिलाओं एवं जन्म से 30 दिन के नवजात षिषुओं को सरकारी अस्पतालों में समस्त स्वास्थ्य सेवायें निःषुल्क उपलब्ध कराना।
यह योजना सफल हो तथा महिलाओं को इसका पूरा लाभ मिल पायें, इन दोनो बातों को घ्यान में रखते हुए मेरा स्वास्थ्य मेरी आवाज अभियान की षुरूवात की गयी है।
क्या है मेरा स्वास्थ्य मेरी आवाज अभियान?
यह अभियान मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं को प्राप्त करने में आने वाली असुविधाओं को रोकने का एक प्रयास है, जिसमें मोबाईल तकनीकि के द्धारा महिलाओं कों स्वास्थ्य सुविधा प्राप्त करने में आ रही परेसानियों के लिए मुफ्त में फोन कर षिकायत दर्ज करने की सुविधा रहेगी (जैसे कि मुफ्त में दवा न मिलना, मुफ्त में जांचें न  होना, आने जाने के लिए गाडी की मुफ्त में व्यवस्था या फिर किसी स्वास्थ्य कर्मी के द्वारा पैसों की माॅग आदि करनेे पर )।
षिकायत दर्ज होने के बाद  सम्बन्धित स्वास्थ्य अधिकारी के द्वारा मदद दिलाने का प्रयास भी किया जायेगा।
क्या है अभियान का लक्ष्य व उददेष्य? 
मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में समुदाय में जागरुकता लाना
हर महिला को निःषुल्क मातृत्व स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने का प्रयास करना।
मातृत्व स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए मुफ्त मोबाईल काल के माध्यम षिकायत दर्ज कराना
जिला स्वास्थ्य व संबन्धित अधिकारियों द्वारा इस प्रक्रिया पर सहमति लेना एवं  निःषुल्क काॅल से प्र्राप्त ष्किायत पर आपातकालीन स्थिति पर पहल व जवाबदेही सुनिष्चित कराना।
मातृत्व स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार लाने हेतु सरकार की मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी कर, सरकार को यथास्थिति के बारें बताना


   किसके लिये है यह अभियान?
ं मातृत्व षिषु स्वास्थ्य योजना के लाभार्थियों के लिये है . गर्भवती महिलाओ एवं धात्री महिलाओं ।
 अभियान से लाभ-
मातृत्व स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत कर सकते है।
सरकार  के मातृत्व स्वास्थ्य सेवा की निगरानी का एक आसान तरीका है।
षिकायत को मुफ्त में उच्च अधिकारी तक पहुंचा सकते है।
अभियान कैसे काम करेगा
यह अभियान मुख्य रुप से मोबाइल फोन पर आधारित है जिसके तहत  व यदि किसी महिला को मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं  का मुफ्त में लाभ नही मिल पा रहा है तो  मुफ्त हेल्पलाईन 18001805090 नम्बर पर फोन कर निर्देषानुसार  बटन दवाकर के अपनी षिकायत  निःषुल्क दर्ज करा सकते है।
षिकायत  को सम्बन्धित स्वास्थ्य अधिकारी तक पहुॅचने के बाद वह आपातकाल में  मदद पा सकेगी।
अभियान का क्षेत्रः
2 जनपद- आजमगढ (22 ब्लाॅक), मिर्जापुर (12 बलाॅक)
अभियान के साथी-
सहयोग, लखनऊ, फो0 न0-0522-2310860
ग्रामीण पुर्ननिर्माण संस्थान, आजमगढ़,उ0प्र0, मो0 न0-9451113651,
षिखर प्रषिक्षण संस्थान, मिर्जापुर, उ0प्र0 मो0 न0-9450162867,

माहिला स्वास्थ्य अधिकार मंच,
परिवर्तन में युवा मंच,
मैसवा जिला फोरम के सदस्य, व यंसेवक दल व  जिले की अन्य साथी संस्थायें

अभियान सचिवालयः ए-240 इन्दिरानगर, लखनऊ-16
फोन- 0522-2310860,2310747 फैक्स-2341319

http://meraswasthyameriaawaz.org/
 for photo
https://plus.google.com/photos/114505440839739763857/albums/5706299980976545169?authkey=CLbC1rzYjdf5cw

मातृत्व स्वास्थ्य के अधिकार को पाना है -
मुफ्त में फोन मिलाकर षिकायत दर्ज कराना है

जेoएसoएसoकेo की निगरानी हेतु सहयोग को आमंत्रण




प्रसव के समय महिलाओं को पूूूूर्णतया आर्थिक खर्चों से मुक्ति हेतु केन्द्र सरकार के द्वारा जून 2011 से एक नई योजना जननी षिषु सुरक्षा कार्यक्रम की शुरुआत की गयी। उत्तर प्रदेष सरकार के द्वारा प्रथम चरण में यह समस्त जिलों के कुछ अस्पतालों में लागू की गयी है।
इस नये योजना में जननी सुरक्षा योजना के तहत सुविधाओं के अलावाा चार अतिरिक्त निःषुल्क सुविधाओं को जोड़ा गयाः-
1.निःषुल्क खाना प्रसव के बाद निःषुल्क गाड़ी की सुविधा
2.निःषुल्क रेफरल
3.जन्म से 30 दिन के नवजात षिषुओं की निःषुल्क चिकित्सा

इस योजना को सफल बनाने के उद्देष्य से सरकार ने इसकी निगरानी करने व समय समय पर फीडबैक देने हेतु कई संस्थायें जिसमें सहयोग, लखनऊ को आमन्त्रित किया (आमन्त्रण पत्र संलग्न-1)। सहयोग इस काम को जिले की  साथी संस्थाओं और महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच उ0प्र0 की महिलाओं के साथ मिलकर कर रही है।


निःषुल्क मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत पर जिला स्तरीय संवाद

CMS, DWH, Azamgarh

महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच के सहयोग से जिला स्तरीय स्वास्थ्य संवाद का आयोजन विभिन्न  जिलो में ७ से १४ अप्रेल के बीच में  किया गया जिसमें महिलाओं ने सरकार द्वारा दी जा रही निःषुल्क मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी के माध्यम से एकत्र किये गये आंकडे़ प्रस्तुत किये।

निगरानी की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच से जुडी तिथी जी ने बताया कि उनके संगठन ने स्वैच्छिक तौर पर उ0प्र0 के 7 जिलों (आजमगढ, चंदौली, गोरखपुर, मिर्जापुर, बांदा, मुजफ्फरनगर व चित्रकूट) की करीब 250 महिलाओं के द्वाराा सर्वेक्षण किया, जिन्होने पिछले छः माह के दौरान बच्चे को जन्म दिया था।

अध्ययन के चैकाने वाले आंकड़ों को प्रस्तुत करते हुए महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच से जुडी सुनीता जी ने बताया कि अफसोस की बात यह है कि किसी भी महिला को निःषुल्क प्रसव का लाभ नहीं मिला। एक जिला आजमगढ में तो निःषुल्क स्वास्थ्य सुविधाओं को पाने के लिए 34 महिलाओं को औसतन 1228रू खर्च करना पड़ा। कुल मिलाकर इन महिलाओं को प्रसव के दौरान 41722रू खर्च करने पड़े।

जहाँ सरकार द्वारा निःषुल्क प्रसव सुविधा का आष्वासन दिया गया है वहाँ पर गरीब ग्रामीण व दलित महिलाओं कोे इतना बड़ा खर्च उठाना पड़ रहा है, यह इस बात की सबूत है कि सरकारी स्वास्थ्य विभाग में जवाबदेही व पारदर्षिता की कमी है।

सहयोग संस्थान, लखनऊ से प्रवेष वर्मा ने बताया कि सरकार का मानना है कि जननी सुरक्षा योजना के कारण संस्थागत प्रसव बढे़ हैं। संस्थागत प्रसव में आर्थिक बाधाओं कोे दूर करने करने के लिए केन्द्र सरकार ने जून 2011 में जननी षिषु सुरक्षा कार्यक्रम की षुरूआत की जिसमें चार अतिरिक्त निःषुल्क सुविधाओं को जोड़ा गया (निःषुल्क खाना, प्रसव के बाद निःषुल्क गाड़ी की सुविधा, निःषुल्क रेफरल एवं जन्म से 30 दिन के नवजात षिषुओं की निःषुल्क चिकित्सा)।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने के उद्देष्य से उ0प्र0 सरकार ने इस योजना की निगरानी करने व समय समय पर फीडवैक देने हेतु अन्य संस्थाओं के साथ सहयोग संस्था, लखनऊ को आमन्त्रित किया। सहयोग इस काम को 7 जिलों में अपनी साथी संस्थाओं और महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच की महिलाओं के साथ मिलकर कर रही है।
महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच, उ0 प्र0 में लगभग 11000 ग्रामीण गरीब महिलाओं का संगठन है जो पिछले 6 सालों से समय समय पर विभिन्न अभियानों एवं संवादों के माध्यम से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग करता आ रहा है तथा मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं व सुविधाओं की गुणवत्ता की निगरानी कर स्थानीय, जिला व राज्य स्तर पर पैरोकारी भी करता है।

7 जिला स्तरीय स्वास्थ्य संवाद कार्यक्रम में जिले के स्वास्थ्य विभाग से मुख्य चिकित्साधिकारी अधिकारी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के अपर निदेषक, संयुक्त निदेषक तथा जिला महिला अस्पताल की मुख्य अधीक्षिका उपस्थित रही। सभी ने महिलाओं की समस्याओं को संज्ञान में लेते हुए उस पर कार्यवाही के साथ कुछ समस्याओं के निपटारे हेतु उपरी स्तर पर भी पहुॅचाने की बात की।
रीना नेे बताया कि अभी जो जिले की अस्पतालों से समस्यायें निकल कर आयी है उनको हम लोग 28 मई को राज्य सतर पर भी षेयर करेगे।
जिला स्वास्थ्य संवाद में जिले महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच की महिलाओं के साथ जिले की अन्य संस्थाओं ने प्रतिभाग किया।

महिला स्वास्थ्य अधिकार मंच उ0प्र0